“ट्रंप के महाभियोग पर अर्थव्यवस्था हो जाएगी ध्वस्त” जानें अमरीकी राष्ट्रपति के इस बयान की असली सच्चाई

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए काम करने वाले कोहेन ने मंगलवार को को टैक्स धोखाधड़ी, बैंकों को झूठे बयान देने आैर प्रचार अभियान में वित्तीय उल्लंघनों समेत आठ आरोपों को स्वीकार किया है।

<p>&#8220;ट्रंप के महाभियोग पर अर्थव्यवस्था हो जाएगी ध्वस्त&#8221; जानें अमरीकी राष्ट्रपति के इस बयान की असली सच्चाई</p>

नर्इ दिल्ली। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल का बुरा दौर शुरु हो गया है। ट्रंप के पूर्व वकील माइकल कोहेन के जुर्म स्वीकार कर लेने के बाद ट्रंप के लिए नर्इ मुश्किलों का दौर शुरु हो गया है। राजनीतिक संकट में फंस चुके ट्रंप पर महाभियोग का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए काम करने वाले कोहेन ने मंगलवार को को टैक्स धोखाधड़ी, बैंकों को झूठे बयान देने आैर प्रचार अभियान में वित्तीय उल्लंघनों समेत आठ आरोपों को स्वीकार किया है। पिछले दिन अपने माहभियोग पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यदि उनके खिलाफा महाभियोग की कार्रवार्इ की जाती तो बाजार धराशायी हो जाएंगे आैर अमरीकी अर्थव्यवस्था ढह सकती है। एेसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सच में ट्रंप के महाभियोग से दुनिया के अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडराएगा? आखिर ट्रंप का महाभियोगा होता है तो भारत समेत दुनिया के किन अर्थव्यवस्थाआें पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा ?

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कितना पड़ सकता है बाजार पर असर
ट्रंप के इस बयान के बाद सबसे पहले अमरीकी अर्थव्यवस्था के बारे में बात करें तो ट्रंप ने अमरीकी चैनल को दिए अपने साक्षात्कार में कहा है कि, “मैं आपसे कहना चाहता हूं कि यदि मेरे खिलाफ महाभियोग चलाया जाता है, तो बाजार टूट जाएंगे, अर्थव्यवस्था टूट जाएगी। मुझे लगता है कि हर कोर्इ गरीब हो जाएगा। मुझे समझ नहीं आता है कि अाप कैसे किसी एेसे व्यक्ति पर महाभियोग चला सकते हैं जिसने इतना शानदार काम किया है।” लेकिन आर्थिक मामलों से जुड़े जानकारों का कहना है कि यदि ट्रंप पर महाभियोग चलता है तो उनके दावे के उलट अमरीकी शेयर बाजार में उत्साव देखने को मिल सकता है। हालांकि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से S&P 500 इंडेक्स में सालाना 20 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।


इतिहास के पन्नों में हैं मिले-जुले संकेत
हालांकि जानकाराें का मानना है कि पिछले समय में जब भी राष्ट्रपतियों की कुर्सी पर खतरा मंडराया है तो स्टाॅक मार्केट में तेजी देखने को मिली है। फरवरी में 1974 माभियोग की कार्रवार्इ हुर्इ थी ताे उस दौरान 1973-1974 के मध्य में बाजार पर हल्का ब्रेक लगा था। उस दौरान तेल संकट और दुनिया की विदेशी परिवर्तन दर प्रणाली में भी विराम देखने को मिला था। उस वर्ष अक्टूबर के दौरान एसएंडपी 500 में करीब 30 फीसदी से अधिक गिरावट दर्ज किया गया था। साल 1998 में जब बिल क्लिंटन पर महाभियोग चला था तो स्टाॅक मार्केट में तेजी देखने को मिली थी। लगतार 5 महीनों तक बाजार में तेजी देखने को मिली थी। वहीं दूसरी तरफ कुछ जानकारों का मानना है कि इससे इक्विटी बाजार पर कोर्इ असर नहीं होगा। फिलहाल दरें कम हैं, डाॅलर में मजबूती देखने को मिल रही है आैर काॅर्पोरेट की कमार्इ अभी भी बड़ी है। आैर कोर्इ भी स्टाॅक मार्केट सिर्फ इन बातों पर निर्भर करता है।

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