महंगाई
देश में बजट 2019 पेश करने के एक बाद से महंगाई का दौर शुरू हो गया है। आज देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2.50 रुपए प्रति लीटर से लेकर 5 रुपए प्रति लीटर तक दाम बढ़ गए हैं। पेट्रोल और डीजल के दाम बढऩे से देश में मंहगाई बढ़ेगी।
एंजेल ब्रोकिंग कमोडिटीज के डिप्टी वाइस प्रेजीडेंट अनुज गुप्ता के अनुसार पेट्रोल और डीजल के दाम में दो रुपये से ज्यादा का इजाफा होने से मालभाड़ा व परिवहन की लागत बढ़ जाएगी जिससे वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि तेल के दाम बढऩे से दैनिक जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी। देश में महंगाई बढ़ेगी तो इकोनॉमी की रफ्तार धीमी हो जाएगी।
यह भी पढ़ेंः- बजट 2019 के एक दिन बाद पेट्रोल-डीजल हुआ महंगा, 2.50 रुपए प्रति तक बढ़े दाम
ग्लोबल स्लोडाउन
भले ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती इकोनॉमी है। लेकिन दुनिया भर में ग्लोबल स्लोडाउन का असर देखने को मिल रहा है। जहां ऑस्ट्रेलिया, यूरोपियन यूनियन, अमरीका और चाइना जैसी शक्तिशाली इकोनॉमी अपनी ब्याज दरों में कम करने की बात ग्लोबल स्लोडाउन का हवाला देकर कर रही है। वहां भारत इस स्लो डाउन के असर से कैसे बच सकता है? आपको बता दें कि वल्र्ड बैंक से लेकर आईएमएफ तक ग्लोबल स्लोडाउन की बात कर रही है। आने वाले दिनों में हालत और भी खराब हो सकते हैं। ऐसे में देश की इकोनॉमी की 7 फीसदी रखना भारत के लिए भी मुश्किल है।
यह भी पढ़ेंः- पीएम मोदी के बजट ने फैलाया भ्रम, 6 साल से मार्केट में ‘कभी खुशी, कभी गम’
क्रूड ऑयल के दाम
वित्त मंत्री जब बजट पेश करते हुए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने तर्क क्रूड ऑयल के दाम में कमी की बात कह रही थी, तो शायद वो इस बात को भूल गईं कि हाल ही में ओसाका सम्मेलन में रूस ओर सउदी अरब की मीटिंग हुई थी। जिसके बाद पुतीन ने कहा था कि ओपेक और रूस ऑयल प्रोडक्शन को कम रखेगा। यह कमी मार्च 2020 तक जारी रह सकती है।
ऐसे में डिमांड बढऩे के बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में इजाफा होगा। जिससे भारत आयात बिल इजाफा होगा। विदेश मुद्रा में कमी आएगी। जिससे देश की इकोनॉमी में असर पड़ेगा। हाल ही में एजेंसियों ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतें अगर 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ती हैं तो जीडीपी पर इसका 0.4 फीसदी असर होता है और इससे चालू खाता घाटा 12 अरब डॉलर या इससे भी ज्यादा बढ़ सकता है।
यह भी पढ़ेंः- Gold Rate Today: अबकी बार मोदी 2.0 सरकार, पहली बार सोना 35 हजार पार
एनपीए
भले ही सरकार की ओर से बजट 2019 में कहा कि हाल के वर्षों में एनपीए एक लाख करोड़ से ज्यादा कम हुआ है। लेकिन यहां सिक्के का एक दूसरा पहलू भी सझने की जरुरत है। देश में कई ऐसी कंपनियां है तो कर्ज की वजह से बंद होने के कगार पहुंच गई हैं। खुद बैंक कई कंपनियों को एनसीएलटी में घसीटकर लेकर आ गए हैं। फिर चाहे वो आईएलएंडएफ हो या फिर जेट एयरवेज। वहीं दूसरी ओर अनिल अंबानी की कंपनियां भी लगातार बंद हो रही है।
वहीं अभी कई लाख करोड़ रुपयों का कर्ज एनपीए में फंसा है। आने वाले दिनों में कई और कंपनियां कर्ज फंसे होने का हवाला देकर अपने आपको दिवालियां घोषित कराने के फिराक में है। जिससे बैंकों का एनपीए और बढ़ जाएगा। जिसका असर देश की इकोनॉमी में साफ दिखाई देगा।
यह भी पढ़ेंः- आम जनता के टैक्स का ऐसे बंटवारा करती है सरकार, जानिए सरकारी खजाने में अपना योगदान
बेरोजगारी
पिछले महीने ही राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय की ओर से श्रमिक बल के आवधिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार देश में जुलाई 2017 से लेकर जून 2018 के दौरान एक साल में बेरोजगारी 6.1 फीसदी बढ़ी। रिपोर्ट में बताया गया था कि शहरी क्षेत्र में रोजगार की चाहत रखने वाले 7.8 फीसदी युवा बेरोजगार हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 5.3 फीसदी है। जबकि रोजगार और इकोनॉमी दोनों में काफी गहरा संबंध है। ऐसे में क्या इस बरोजगारी में देश की इकोनॉमी को 5 खरब डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है, अपने आप में बड़ा सवाल है।
यह भी पढ़ेंः- मोदी सरकार के बजट पर देश के दिग्गज कारोबारियों ने किया ट्वीट, कहा- निर्मला सीतारमण ने चौके लगाने की बजाय सिंगल लिए
आखिर बजट में इकोनॉमी को लेकर क्या कहा गया?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा था कि साल के अंत तक देश की इकोनॉमी को 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले यानी 2014 में देश की इकोनॉमी 1.85 ट्रिलियन थी। जिसे देश की मोदी सरकार 2.75 तक लेकर आई मोदी सरकार आने वाले पांच सालों में देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक लेकर जाना चाहती है।निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की मोदी सरकार ने 2014 से मार्च 2019 तक देश की इकोनॉमी में एक ट्रिलियन का इजाफा कर दिया है।
बीती सरकारों ने देश को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने में 55 साल लगा दिए। जबकि 2014 के बाद उनकी सरकार ने पांच साल में देश की इकोनॉमी को 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया। भारत की अर्थव्यवस्था छठे स्थान पर है। अगर पांच सालों में देश की इकोनॉमी 5 खरब डॉलर की हो जाती है तो देश दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। आपको बता दें कि इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर का अनुमान 7 फीसदी रखा है।
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट, म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.