देश में हर साल 40 फीसदी फल और सब्जियां हो जाती हैं बर्बाद, अब निकाला यह तरीका

आईएआरआई ने ‘पूसा फार्म सन फ्रिज’ नामक एक रेफ्रीजरेटर बनाया
रेफ्रीजरेटर दो टन तक फलों और सब्जियां को रखा जा सकता है सेफ

<p>Upto 40 pc vegetables, fruits are wasted in country: IARI Director</p>

नई दिल्ली। देश में लगातार खाद्यान्नों के उत्पादन में नया रिकॉर्ड बनाने में अपने अनुसंधानों से अमूल्य योगदान देने वाला भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) अब कृषि उत्पादों के परिरक्षण पर शिद्दत से काम कर रहा है। इस दिशा में संस्थान ने एक ‘पूसा फार्म सन फ्रिज’ नामक एक रेफ्रीजरेटर बनाया है जिसमें दो टन तक फलों और सब्जियां को रखा जा सकता है।

यह भी पढ़ेंः- बड़ी खुशखबरी: पीएम मोदी के कहने पर देश के 11 करोड़ किसानों के खातों पर पहुंचे 10500 रुपए

फलों और सब्जियों की बर्बादी होती है
आईएआरआई के निदेशक डॉ. एके सिंह ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि देश में कुल उत्पादन का 30 से 40 फीसदी तक फलों और सब्जियों की बर्बादी होती है जबकि कुल उत्पादन का 10 फीसदी अनाज खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि अगर फलों, सब्जियों और अनाज का सही तरीके से परिरक्षण हो तो यह किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करने में सहायक होगा।

यह भी पढ़ेंः- आखिर पीएम मोदी ने क्यों की थी पेट्रोल और डीजल पर आत्म निर्भर बनने की बात, यहां समझें पूरा गणित

सोलर एनर्जी से चलता
आईएआरआई द्वारा विकसित ‘पूसा फार्म सन फ्रिज’ ऑन फार्म स्टोरेज के लिए काफी कारगर साबित होगा। डॉ. सिंह ने बताया कि इसमें दो टन तक हरी सब्जियों, ताजे फलों और फूलों का भंडारण किया जा सकता है और यह पूरी तरह सौर उर्जा से संचालित है। उन्होंने कहा, “दिन के समय सौर उर्जा से एसी चलता है और रात के समय इसमें मौजूद ठंडा पानी को एक नई तकनीक से इसकी छत पर सर्कुलेट किया जाता है जिससे तापमान चार से 12 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है जिससे फल व सब्जियों का भंडारण सुरक्षित तरीके से किया जाता है।” उन्होंने बताया कि ‘पूसा फार्म सन फ्रिज’ को एक जगह से दूसरी जगह भी आसानी से ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए यह काफी उपयोगी साबित होगा। एक फ्रिज का बनाने की लागत पांच से सात लाख रुपये आई है।

यह भी पढ़ेंः- यूपी और राजस्थान के बजट के बाद बाजार में लौटी रौनक, हुआ 5.66 लाख करोड़ रुपए का फायदा

फलों और सब्जियों के निर्यात की संभावना
डॉ. एके सिंह ने कहा कि देश से फलों और सब्जियों के निर्यात की बड़ी संभावना है और इसके लिए संस्थान निरंतर निर्यात वाली वेरायटी विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसी क्रम में निर्यात के मकसद से रंगीन छिलके और कम मिठास वाले आम की नई किस्में पूसा मनोहरी और पूसा दीपशिखा द्वारा विकसित की गई हैं जिनका भंडारण ज्यादा दिनों तक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही आम की इन किस्मों के पौधे किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

यह भी पढ़ेंः- रियल एस्टेट सेक्टर में रौनक लौटने के संकेत, होम लोन की बढ़ी डिमांड

पराली का भी सोचा उपाय
डॉ. सिंह ने बताया कि धान की पराली के दहन की समस्या से निजात दिलाने में संस्थान द्वारा विकसित पूजा डिकंपोजर आने वाले दिनों में काफी सहायक साबित होगा क्योंकि इससे 25 दिनों के भीतर धान की पराली गला दी जाती है। आईएआरआई निदेशक ने बताया कि पूसा द्वारा संपूर्ण नामक एक ऐसा तरल जैव उर्वरक विकसित किया गया है जिससे जमीन में पोटाश, फास्फोरस और नाइट्रोजन की उपलब्घता बढ़ा कर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.