इस बार किसानी और खेती पर केन्द्रित हो सकता है चुनाव पूर्व बजट

आगामी बजट चुनाव पूर्व का अंतिम बजट होगा। सरकार इसमें कृषि और ग्रामीण विकास पर जोर दे सकती है।
 

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नई दिल्ली. केन्द्र सरकार ने संकेत दिया है कि आगामी बजट में कृषि और उससे संबंधित योजनाओं पर अधिक जोर दे सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही कहा था कि कृषि एक प्राथमिक क्षेत्र है।
अंतिम पूर्ण बजट
इस बार का बजट एनडीए सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। इसलिए इसे चुनाव पूर्व बजट भी कहा जा सकता है। 2008—09 और 2013—14 का बजट भी चुनाव पूर्व बजट ही रहा था। यूपीए एक और दो की सरकार ने चुनावी तैयारियों के लिहाज से बजट पेश किया था। मोदी सरकार के इस बजट के बारे में उसी तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बजट में चुनावी रणनीतियों के लिहाज से प्राथमिकताएं निर्धारित की जाएंगी। इस लिहाज से देखें तो यह बजट पूरी तरह व्यय बजट होगा। जबकि जीएसटी की वजह से राजस्व संग्रह में भारी कमी देखी जा रही है।
4 से 7 फीसद अधिक व्यय के संकेत
आंकड़े बताते हैं कि 2014 के चुनावों से पहले दो साल यूपी टू सरकार के खर्च में औसतन वृद्धि 8.5 की थी। 2009 के चुनावों के पहले और बाद के वर्षों में क्रमश: किसान ऋण राहत योजना के कारण खर्चों बढ़ोतरी हुई थी। वर्ष 2009—10 के लिए सरकार के खर्च का अनुमान 10.2 लाख करोड़ रुप था जो पिछले साल के मुकाबले 15.9 फीसद अधिक था। 2007—8 के लिए यह 7.13 लाख करोड़ रुपए का अनुमान था जो पिछले वर्ष की तुलना में 22.2 फीसद अधिक था। इस बार सरकार कुल व्यय 2014 से 2018 तक 8.4 प्रतिशत औसत दर से बढ़ी। पूर्व चुनाव वर्षों के रुझान को देखते हुए इसके कुल व्यय में वृद्धि पहले की तुलना में 4 से 7 प्रतिशत अधिक हो सकता है।
गांव और किसानी पर होगा जोर
सरकार ने संकेत दिया है कि आगामी बजट में कृषि और संबंधित योजनाओं पर अधिक व्यय होने की संभावना है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही कहा है कि कृषि एक प्राथमिकता क्षेत्र है। किसानों को अपने उत्पादों की सही कीमत नहीं मिल रही है। इस स्थिति से किसानों को उबारने के लिए कई कदम उठा गए हैं। इस बार चुनावी बजट को देखते हुए योजनाबद्ध तरीके से कृषि क्षेत्र पर ध्यान देने की योजना है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। ऐसा करना इसलिए जरूरी हो गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी आठ क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य वृद्धि सबसे कम रहा था। इसके साथ ही सरकार बुनियादी ढांचे के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर खर्च में वृद्धि कर सकती है।
 

 
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