जनता की सेहत, आर्थिक सेहत से ज्यादा जरूरी
अब इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय की ओर से भी जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बैंकों का ब्याज आम जनता की सेहत से ज्यादा जरूरी नहीं है। बैंकों को संकट के समय ब्याज और ब्याज के ऊपर ब्याज नहीं देना चाहिए। इससे पहले आरबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा था कि अब ब्याज को माफ कर दिया तो बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपए का नुसान होगा। जिसमें एनबीएफसी के आंकड़े को जोड़ा नहीं नहीं गया है। सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय से 12 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
नहीं हो सकता है ब्याज माफ
इससे पहले आरबीआई मो लोन मोराटोरियम पीरियड 3 से बढ़ाकर 6 महीने कर दिया है। इस दौरान बैंक ब्याज भी ले रहे हैं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ले आरबीआई से जवाब मांगा था। जिस पर आरबीआई ने ब्याज माफ ना होने की बात कही थी। आरबीआई ने कहा था कि इससे बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपए का घाटा होगा। अब इस पूरे मामले में वित्त मंत्रालय की ओर से जवाब मांगा गया है। मंत्रालय के अनुसार इस मामले में चर्चा चल रही है। सुप्रीम कोर्ट को पूरी जाानकारी दी जाएगी।
मंत्रालय में बना है गंभीर विषय
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद से वित्त मंत्रालय में अब यह विषय ज्यादा गंभीर बन गया है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की समीक्षा होगी। जिसके बाद ही कोर्ट में पक्ष रखा जाएगा। जानकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय में ब्याज पर ब्याज न वसूलने पर विचार किया गया था, लेकिन इस मामले कमें सहमति बन पाने के कारण मामले को बीच में ही छोडऩा पड़ा। सरकार के अनुसार एक को छूट देने के बाद दूसरा भी इस मामले में आवाज उठा सकता है। ऐसे में काफी मुश्किल हो जाएगा और बैंकों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।