पिछली तिमाहियों में कैसा रहा है जीडीपी
देश में जीएसटी लागू होने से पहले कई गतिविधियों के चलते वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल-जून वाली पहली तिमाही में जीडीपी दर 5.7 फीसदी था। वहीं जुलाई-सितंबर के बीच दूसरी तिमाही में जीडीपी दर 6.3 फीसदी हुआ था। ये आंकड़े सरकार के लिए थोड़े राहत वाले थे क्योंकि इसके पहले वाले तिमाही के आंकेड़े पिछले 13 तिमाही के सबसे निचले स्तर पर था। हालांकि विशेषज्ञों का मानना था कि ये सरकार द्वारा उठाए गए कई कड़ेे आर्थिक कदमों के वतह से था। अब तिसरी तिमाही में भी लगातार दूसरी बार जीडीपी दर में सुधार और 7 के बार जाने से इस बात की उम्मीद लगाया जा सकता है कि मौजूदा वित्त वर्ष सरकार के लिए साकारात्मक संकेत वाला होगा।
आगे आने वाली तिमाहियों के लिए क्या है संकेत
तिसरी तिमाही में सुधरे ग्रोथ रेट भारतीय अर्थव्यवस्था कि लिए अच्छेे दिनों के संकेत तो दे दिया है। इन आंकड़ों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में एक तरफ नोटबंदी का दबाव रहा तो वहीं दूसरी तरफ जीएसटी लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था को दूसरा झटका लगा। ऐसे में जीडीपी का 7 फीसदी के पार जाना इस बात का संकेत हो सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब सुस्ती से बाहर निकलकर रफ्तार पकड़ रहा है। इसके साथ ही देश में निवेश का रास्ता भी साफ हो रहा है जिससे की आने वाली तिमाहियों में यह आंकड़ा और रफ्तार पकड़ सकता है।