भारत से विशेष दर्जा छीनने की धमकी
र्इरानी उप राजदूत मसूद रजवानियन रहागी ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत ने चाबाहार पोर्ट के विस्तार आैर उसके कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लिए किए गए अपने निवेश वादों को पूरा नहीं कर रहा है। हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में भारत इस बात को ध्यान में रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण कदम जरूर उठाएगा। एक सेमिनार में रहागी ‘वैश्विक कूटनीति में उभरती चुनौतियों आैर संभावनाएं आैर उनके भारत के द्विपक्षीय समझौतों पर पड़ने वाले प्रभाव ‘ के विषय पर बात कर रहे थे। आपको बता दें कि चाबाहार पोर्ट भारत, र्इरान आैर अफगानिस्तान के लिए कनेक्टिविटी गेटवे के तौर पर काम करता है। इसके साथ ही भारत सेन्ट्रल एशियन देशों से इसी के जरिए कनेक्ट रहता है।
भारत को कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ निर्यातक देश है र्इरान
रहागी ने उपरोक्त विषय पर बोलते हुए कहा कि, अगर भारत र्इरान के बदले सउदी अरब, रूस, इराक, अमरीका जैसे देशों से अपने तेल आयात का 10 फीसदी देता है तो उसे डाॅलर के भाव में ये इंपोर्ट करना होगा। इसका सीधा मतलब है कि ज्यादा चालू घाटा होगा आैर साथ ही र्इरान द्वारा भारत को दिए जाने वो विशेष लाभ को भी छोड़ना होगा। गौरतलब है कि र्इरान तेल के मामले में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच में भारत ने र्इरान से 1.84 करोड़ टन क्रुड आॅयल का आयात किया था।
अमरीका ने भारत समेत कर्इ देशों को दी है चेतावनी
वहीं दूसरी तरफ ट्रेड वार की तल्खी के बीच आैर र्इरान से परमाणु समझौते पर मतभेद को लेकर अमरीका ने कहा है कि जो देश र्इरान से तेल आयात को कम करते हैं तो उन देशाें के साथ अमरीका ‘केस बार्इ केस बेसिस’ के आधार पर काम करने काे तैयार है। डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात को पूरी तरह से साफ कर दिया है कि भारत आैर तुर्की जैसे देशों काे इस मामले में कोर्इ छूट नहीं दी जाएगी। अमरीका को इस बात का डर है कि अगर एेसा नहीं किया जाता है तो र्इरान पर दबाव बनाने में कमी आ सकती है। अमरीका ने उन दूसरे देशों को भी धमकी दी है की यदि वो र्इरान से कच्चे तेल के आयात को 4 नवंबर तक जीरो नहीं करते हैं तो उन्हे कर्इ तरह के प्रतिबंधों के लिए तैयार रहना होगा।