नई दिल्ली। चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद अब केंद्र सरकार खाद्य तेलों पर भी आयात शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है। घरेलू बाजारों में तिलहनों की कीमत में आई भारी गिरावट के बाद केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने यह प्रस्ताव बढ़ाया है। इस बारे में अंतिम फैसला केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग को करना है। सूत्रों के मुताबिक, इस हफ्ते इस पर फैसला कर लिया जाएगा। आयात होते हैं 70 फीसदी खाद्य तेल भारत में खपत होने वाले खाद्य तेलों में 70 फीसदी हिस्सा आयातित तेल का होता है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रिका को बताया कि तिलहनों की बंपर पैदावार के चलते घरेलू बाजारों में पिछले साल के मुकाबले तिलहनों की कीमत में एक तिहाई से अधिक गिरावट आ चुकी है। इसके बावजूद आयातित तेल के अधिक सस्ता होने के चलते हमारे किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मंत्रियों की बैठक उठा मुद्दा अधिकारी ने बताया कि पिछले हफ्ते कृषि मंत्रियों की बैठक में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने यह मुद्दा उठाते हुए बताया था कि प्रदेश के किसान सोयाबीन की जगह इस बार कपास और दलहन का रूख कर रहे हैं। वहीं, तिलहनों की पेराई करने वाले उद्योगों के समूह सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर एसोसिएशन (एसईए) ने भी पत्र लिखकर कू्रड खाद्य तेल पर आयात शुल्क 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी और रिफाइंड तेल पर आयात शुल्क 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने की सिफारिश की है। महंगाई बढ़ने का भी खतरा इधर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने कहा कि खाद्य मंत्रालय होने का नाते हमारा ध्यान रहता है कि उपभोक्ताओं के लिए कोई वस्तु महंगी न हो। ऐसे में हम इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क बढ़ाने या न बढ़ाने का फैसला राजस्व विभाग विभाग को करना है।