टैक्स रिटर्न भरने के लिए 3 की बजाय सिर्फ 1 ही फॉर्म भरने की व्यवस्था शुरू की जा सकती है. मतलब ये कि रिटर्न भरने कि प्रकिया को सरल किया जा सकता है. दरअसल जनवरी में जब जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी उस दौरान समूह को रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए उपायों पर चरचा की गई थी जो बेनतीजा रही. बैठक अगर फॉर्म भरनेकी प्रकिया को सरल करने का फैसला कर लिया जाता है तो तीन के बजाए सिर्फ 1 रिटर्न फॉर्म भरना होगा, मतलब ये कि 3 बी के आधार पर सभी रिटर्न भरा जा सकता है.साथ ही बिल मैंचिग की जटिल प्रकिया से राहत मिल जाएगी.
दूसरा अहम फैसला: शराब को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. एल्कोहल युक्त पेय बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल या ‘मानव के उपयोग वाले एल्कोहल’ को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है।
इसके साथ ही सिर्फ विक्रेता के बिल पर खरीदार को इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रस्ताव रखा जा सकता है। इस प्रस्ताव पर कारोबारी और काउंसिल के सदस्यों में सहमति नहीं है। इसमें फर्जी कंपनी बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की शंका हमेशा बनी रहेगी. इसके अलावे वैट और एक्साइज की तरह प्रोविजनल इनपुट टैक्स क्रेडिट देने के विकल्प देने पर विचार करने मंजूरी दा जा सकती है।
गौरतलब है कि जीएसटी (वस्तू एवं सेवा कर ) लागू होने के बाद से ही रिटर्न भरने की प्रकियाओं पर सवाल उठाया जा रहा है विशेषकर छोटे और मझोले व्यापारी जो तकनीकी तौर पर ज्यादा प्रशिक्षित नहीं हैं उनके लिए रिटर्न भरना एक जटिल प्रकिया है.