बनें स्मार्ट नागरिक
सरकार की ओर से ट्वीट करते हुए कहा है कि इंटरनेट पर किसी भी गलत जानकारी को सांझा करने से पहले सही तथ्यों की जांच कर लें। स्मार्ट नागरिक बनें, इंटरनेट पर फैली गलत जानकारियों से गुमराह न हों। उन्होंने इस ट्वीट में चार फोटो भी दिए हैं। जिसमें चार मिथक दिए गए हैं, जिनमें सरकार की ओर से जवाब दिया गया है। वहीं दूसरे ट्वीट में सरकार की ओर से कहा गया है कि इंटरनेट पर फैली गलत जानकारियों से खुद को और अपने दोस्तों को गुमराह न होने दें। सही जानकारी सांझा करके गलत जानकारी के विरुद्ध अभियान में योगदान दें। इस ट्वीट में भी चार फोटो में चार मिथक और उनके सही जवाब दिए गए हैं।
सरकार की ओर जारी मिथक और उनके जवाब
पहला मिथक: केंद्र सरकार विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा लागू किए गए एमएसपी कानून को रद कर रही है।
जवाब: ये बिल एमएसपी अधिनियम, जो कि राज्यों का एक अधिनियम है को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता है। वहीं बाजारों से बाहर हो रहे व्यापार को ना कानून के तहत कवर किया जाएगा।
दूसरा मिथक: मोदी सरकार किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के साथ अनुबंध करके खत्म कर देगी?
जवाब: पिछले दशकों में कई राज्यों द्वारा अनुबंध खेती को लागू किया गया है। कुछ राज्यों ने भी अलग-अलग अनुबंध खेती अधिनियम पारित किए गए हैं।
मिथक: बिल किसान विरोधी है, क्योंकि उन्हें कोई सुरक्षा नहीं प्रदान करता है?
जवाब: एमएसपी का सुरक्षा जाल बना रहेगा। ये बिल उन विकल्पों को जोड़ेंगे जो किसानों के पास है। किसान खाद्य उत्पाद कंपनियों के साथ उत्पादन की बिक्री के लिए प्रत्यक्ष समझौतों में प्रवेश कर सकेंगे।
मिथक: कृषि बिल किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के सुरक्षा जाल से बाहर निकालने की एक साजिश है।
जवाब: कृषि बिल एमएसपी को बिल्कुल प्रभावित नहीं करने वाला है। एमएसपी प्रणाली जारी रहेगी। किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में मदद के लिए ये एमएसपी मार्केट यार्ड के बाहर अतिरिक्त व्यापारिक अवसर पैदा कर रहा है।
मिथक: यह बिल कृषि उपज विपणन समिति कानून के अधिकारों पर हमला है?
जवाब: यह बिल कृषि उपज विपणन समिति कानून के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करती है। एपीएमसी राज्य में काम करना जारी रख सकते हैं। यह बिल एपीएमसी परिसर के बाहर अतिरिक्त व्यापार की अनुमति देता है।
मिथक: कृषि राज्य सूची का विषय है, इसलिए यह बिल गैरकानूनी है, किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाने की बजाय यह सिर्फ उद्योगपतियों को लाभ के लिए हैं?
जवाब: संविधान की 7वीं अनुसूची में इस बात का उल्लेख है कि राष्ट्रीय हित में केंद्र सरकार इस क्षेत्र में कानून बना सकती है। इस समझौते के तहत किसानों को अधिकतम आय सुनिश्चित करने समेत कई फायदेमंद प्रावधान हैं।
मिथक: यह बिल राज्यों के कृषि राजस्व में अवरोध पैदा करेगा, जिससे एपीएमसी बंद हों जाएंगे और कृषि क्षेत्र में उद्योगपतियों का पूरी तरह से कब्जा हो जाएगा।
जवाब: एपीएमसी का बाजार पहले की तरह ही चलता रहेगा और किसानों को आय के पर्याप्त अवसर मिलते रहेंगे।
मिथक: कृषि उपज विपणन समिति कानून के अंतर्गत एजेंट सत्यापित हैं और भुगतान सुरक्षित हैं, लेकिन यह बिल किसानों के लिए भुगतान की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करता है।
जवाब: यह विधेयक प्रत्येक व्यापारी को उसी दिन या अधिकतम तीन कार्यदिवसों के भीतर किसान को भुगतान करने का आदेश देता है।
पीएम मोदी ने दी दिया स्पष्टीकरण
पीएम मोदी से अपने ट्विटर हैंडल पर बिल के बारे में कहा कि भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयकों के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूं। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा, बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे।
दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था। संसद में पारित विधेयकों से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी। हमारे कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत है, क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।
मैं पहले भी कहा चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं, एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढिय़ों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।