Coronavirus Lockdown के दौर में शहरों इलाकों की लाइफ लाइन बनी किराना दुकानें

तमाम आश्वासनों के बाद भी ग्रोसरी आइटम्स की डिलिवरी नहीं कर पा रही है एप्स
बिग बास्केट और ग्रूफर्स से सामान मंगाने वाले किराना दुकानों पर दिखाई दे रहे हैं

नई दिल्ली। कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच ग्रोसरीज ई-कॉमर्स साइट्स जरूरी सामान को पहुंचाने में फेल हो रही हैं। खास बात तो ये है कि दिल्ली और एनसीआर के प्रशासन की ओर से सप्लाई को निर्बाध रूप से संचालित कराने का आश्वासन दिया है। वास्तव में इन कंपनियों सामान और मैनपॉवर दोनों की कमी है। शहरी इलाकों खासकर महानगरों में एक बार फिर किराना की दुकानें लाइफलाइन बन गई हैं। बड़ी और नामी सोसाइटीज में रहने वाले लोग अब किराना की दुकानों में देखें जा रहे हैं। जहां पर उन्हें वो तमाम सामान उसी क्वालिटी और ब्रांड का मिल रहा है, उन्हें ग्रोसरी ई-कॉमर्स घर बैठे उपलब्ध करा रहा था। कुछ किराना दुकानों ने अपने आसपास की सोसाइटी में भी सामान को डिलीवर करने की भी जिम्मेदारी ली है।

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मैनपॉवर की भारी कमी
जब से 21 दिनों की लॉकडाउन की शुरुआत हुई है, तब से ही बड़े सुपरमार्केट चेन और ऑनलाइन ग्रॉसर्स अपनी सर्विस को जारी रखे हुए हैं। बीते एक हफ्ते से तो मैनपॉवर की भी काफी दिक्कत है, उसके बाद भी इनकी सर्विस चल रही है। वहीं दूसरी ओर किराना दुकानों के मालिक खुद डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास जाकर जरुरत का सामान लेकर जा रहे हैं। ताकि किसी जरुरत के सामान की किल्लत ना हो। दिल्ली के पॉश इलाके में किराना स्टोर के मालिक महेंद्र गुप्ता के अनुसार मैनपॉवर की कमी की वजह से डिस्ट्रीब्यूटर्स दुकानों पर नहीं आ पा रहे हैं। जिसकी वजह से वो खुद सामान लेने के लिए उनके गोदाम पर जा रहे हैं।

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क्रङ्ख्र के साथ टाइअप
वहीं कुछ किराना दुकानों ने हाउसिंग सोसायटी की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के साथ टाइअप किया है। जो उनकी सोसायटी में जरुरत का सामान भी पहुंचा रहे हैं। उत्तम नगर स्थित किराना स्टोर चलाने वाले महेश शर्मा का कहना है कि द्वारका और आसपास काफी हाउसिंग सोसायटी हैं। जहां की आरडब्ल्यूए के साथ उनका टाइअप हो गया है। आरडब्ल्यूए और मकान मालिकों की ओर से वाट्सएप पर सामान का ऑर्डर आता है। जिसे सोसायटी के गार्ड रूम में रख दिया जाता है। रेजिडेंट अपना लेकर और रुपए देकर चले जाते हैं। महेश शर्मा का कहना है कि वो उनका बेटा अभी इस काम को पूरी तरह से संभाल रहे हैं। दो नौकर थे, जो कोरोना वायरस की वजह से दुकान पर नहीं आ रहे हैं।

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