इनमें जुड़ी सबसे ज्यादा नौकरियां
– जून में जोड़े गए ज्यादातर रोजगार छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरी की श्रेणियों में हैं।
– दिहाड़ी मजदूरों की श्रेणी में लगभग 4.4 करोड़ नौकरियां जोड़ी गईं।
– इसमें 1.2 करोड़ किसानों से जुड़ी नौकरियां शामिल हैं।
– जबकि 1 करोड़ व्यवसायों में जुड़ी नौकरियां और 0.4 करोड़ वेतनभोगी वर्ग में हैं।
इसमें सबसे ज्यादा धीमी प्रगति
सीएमआईई के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ महेश व्यास के अनुसार सैलरीड कर्मचारियों के बीच नौकरियों में इजाफा सबसे कम हुआ है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और खरीफ बुवाई ने जून में रोजगार बाजार को बढ़ाया है. मई में, सरकार ने राज्य प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए राज्यों को धन उपलब्ध कराने को लेकर मनरेगा योजना में 40,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त आवंटन क ऐलान किया था। उन्होंने कहां अनलॉक की प्रक्रिया के बाद छोटे कारोबारियों और मजदूरों की ओर से वापसी हुई है। उनके लिए अपने रोजगार को वापस पाना बड़ा आसान है क्योंकि वे स्व रोजगार वाले है।
वेतनभोगी नौकरियों पर सबसे ज्यादा नकारात्मक असर
सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल में 1.77 करोड़ वेतनभोगी नौकरियां चली गईं और मई में 1.78 करोड़ नौकरियों से हाथ धोना पड़ा था। जिनमें से केवल 39 लाख वेतनभोगी नौकरियां ही जून में रिकवर हो सकी हैं। सीएमआईई के एमडी व्यास के मुताबिक नौकरियां वापस आ रही हैं। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि जून में रिकवरी के बावजूद, रोजगार का स्तर अभी भी 2019-20 से काफी कम है। जून में कुल रोजगार 37.4 करोड़ था, जबकि 2019-20 में औसतन इसी समय 40.4 करोड़ रोजगार का आंकड़ा था। जून में इकोनॉमिक एक्टीविटी में हल्का सुधार देखने को मिला है, लेकिन अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इंडियन इकोनॉमी 2020-21 में कम से कम 5 फीसदी पर रह सकती है।