देश को और सुधारों की जरूरत मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि देश में बैंकिंग सेक्टर की स्थिति को बेहतर करने के लिए और सुधारों की जरूरत है। उनका कहना है कि हमें गवर्नेंस में सुधार पर जोर देना चाहिए। इसके लिए निजी सेक्टर की भागीदारी भी बढ़ानी चाहिए। सुब्रमण्यन का कहना है कि देश के स्वस्थ आर्थिक सिस्टम के लिए 3 से 5 सरकारी बैंक, 3 से 4 प्राइवेट बैंक और 1-2 विदेशी बैंक भी होने चाहिए।
केंद्र सरकार-आरबीआइ के बीच मतभेद जरूरी एक सवाल के जवाब में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि केंद्र सरकार और आरबीआइ के बीच कुछ मतभेद हमेशा रहते हैं। सुब्रमण्यन ने कहा कि दोनों के उद्देश्य और जनादेश अलग-अलग हैं। एेसे में थोड़ी बहुत टेंशन होना लाजिमी है। उन्होंने कहा कि यदि कोई टेंशन नहीं होगी तो काम सही दिशा में नहीं होगा। पूर्व आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन को सुब्रमण्यन ने अपना बेहतर दोस्त बताया।
नोटबंदी पर 5 साल बाद हो सकेगा आकलन नोटबंदी के फैसले के सवाल पर अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि यह फैसला सही था या गलत, इसका आकलन 5 साल बाद ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि पैसों का सिस्टम में वापस आने का मतलब यह कतई नहीं है कि कालाधन समाप्त हो चुका है। आपको बता दें कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने पिछले महीने ही अपना पद छोड़ने की बात कही थी। इसकी जानकारी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग के जरिए दी थी।