बिटकाॅइन दुनिया के लिए बनता जा रहा खतरा,2033 तक क्रिप्टोकरंसी की वजह से 2 डिग्री बढ़ जाएगी ग्लोबल वाॅर्मिंग

हाल ही में जारी हुए एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया की दूसरी टेक्नाेलाॅजी की तरह ही बिटकाॅइन से भी पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो रहा है।

<p>दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा बिटकाॅइन, क्रिप्टोकरंसी की वजह से 2033 तक 2 डिग्री बढ़ जाएगा ग्लोबल वाॅर्मिंग</p>

नर्इ दिल्ली। एक तरफ वर्चुअल करंसी बिटकाॅइन दुनियाभर में कम समय में अधिक से अधिक कमार्इ का जरिया बनता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ यही बिटकाॅइन दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। हाल ही में जारी हुए एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया की दूसरी टेक्नाेलाॅजी की तरह ही बिटकाॅइन से भी पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि बिटकाॅइन का प्रयोग इसी दर से आगे भी होता रहा तो साल 2033 तक वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो जाएगा।


क्यों दुनियाभर के लिए क्यों खतरा बनता जा रहा बिटकाॅइन

एक अमरीकी यूनिवर्सिटी के छात्र रैंडी काॅलिंस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “बिटकाॅइन एक तरह का क्रिप्टोकरंसी है जिसमें हेवी हार्डवेयर का प्रयोग किया जाता है। जिसके लिए बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत होती है।” क्रिप्टोकरंसी समेत सभी तरह के डिजिटल करंसी के लिए बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत होती है। हाल ही में जारी किए क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया था। दरअसल, हर बिटकाॅइन की खरीद को कुछ लोगों द्वारा रिकाॅर्ड किया जाता है जिसे माइनर्स कहते हैं। ये माइनर्स हर टाइमफ्रेम के आधार पर इन ट्रांजैक्शन को आगे ब्लाॅक के रूप में इकट्ठा करते हैं। इन ब्लाॅक को आगे चलकर चेन बनाया जाता है जो कि अागे चलकर बिटकाॅइन का एक तरह का खाता-बही होता है। माइनर्स को वेरिफिकेशन प्रोसेस आैर संगणित करने के लिए बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत होती है।


बिटकाॅइन के इस्तेमाल से बढ़ रहा कार्बनडार्इ आॅक्साइड का उत्सर्जन

बिटकाॅइन के लिए इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत ने कर्इ तरह की पेरशानियां खड़ी की है। बीते कुछ समय में इसको लेकर कर्इ आॅनलाइन प्लेटफाॅर्म्स पर बहस भी हुआ है। इन बहस में अधिकतर बातें बिटकाॅइन की सुविधाआें व रिंग्स को कहा रखा जाए, इसी पर केंद्रित रहा। लेकिन बिटकाॅइन का पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा, इसके बारे में बिल्कुल कम बातें हुर्इ है। रिसचर्स ने बिटकाॅइन माइनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कम्प्युटर्स की पावर क्षमता आैर उसके प्रयोग के बारे में जानकारी इकट्ठा किया है। इन रिसर्च से पता चला है कि उन जगहों पर जहां बिटकाॅइन माइनिंग के लिए कम्प्युटर्स का इस्तेमाल होता है, वहां कार्बनडार्इ आॅक्साइड (CO2) का उत्सर्जन अधिक हुआ है।


रिसचर्स ने क्या कहा

इसी डेटा के आधार पर रिसचर्स ने अनुमान लगाया कि साल 2017 में बिटकाॅइन से कुल 6 करोड़ 90 लाख मिट्रिक टन कार्बनडार्इ आॅक्साइड का उत्सर्जन हुआ है। इसके साथ ही रिसचर्स ने एक आैर स्टडी के बाद इस निर्णय पर पहुंचे की आने वाले 22 सालों में धरती का तापमान में कुल 2 डिग्री सेल्सियस आैर बढ़ जाएगा। मौजूदा समय में, ट्रांसपोर्टेशन, हाउसिंग आैर फूड जैसी चीजों को क्लाइमट चेंज के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन अब इस रिसर्च के बाद भी बिटकाॅइन को भी इस लिस्ट में शामिल कर लिया जाता है तो कोर्इ आश्चर्य की बात नहीं होगी।

 

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