उन्होंने कहा कि स्पेसीफाइड बैंक नोट (एसबीएन) को या तो आरबीआर्इ, बैंक शाखा या पोस्ट आॅफिस से करेंसी चेस्ट मैकेनिज्म के जरिए प्राप्त किए गए थे। इसमें क्रमांक सटीकता आैर वेरिफिकेशन का जांच करना बाकी है। राधाकृष्णन ने आगे कहा कि, “इसके लिए सभी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है आैर जिन नोटों की आॅनलाइन करेंसी वेरिफिकेशन आैर प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस) के तहत प्रोसेस किया गया है, उन्हें नष्ट कर दिया गया है। “
एक आैर सवाल के जवाब केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि 2008 से 2014 के दौरान पब्लिक सेक्टर बैंकों ने जमकर उधार दिए हैं। आरबीआर्इ के डेटा के मुताबिक ये आंकड़ा 18.2 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 52.16 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण बीते कुछ समय में विलफुल डिफाॅल्ट, लोन फ्राॅड आैर कुछ भ्रष्टाचार के मामले रहे हैं। साल 2015 में साफ सुथरा बैंक बैलेंस शीट के बारे में पता करने के लिए लाए गए एसेट क्वलिटी रिव्यू से पता चला है कि बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) में भारी इजाफा हुआ है।