Corona के डर से परिवार ने Bhopal से Delhi के लिए बुक कर ली पूरी Flight, देने पड़े लाखों 1- अजीत जोगी (Ajit Jogi) का जन्म 21 अप्रैल 1946 को छत्तीसगढ़ में बिलासपुर (Bilaspur) जिले में हुआ था। उनके माता-पिता शिक्षक थे। जोगी को इक बात पर काफी गर्व था और जब तब मौका मिलने पर अपने मित्रों के बीच वह इसका जिक्र जरूर करते थे।
2- अजित जोगी ने भोपाल (Bhopal) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री ली थी। 3- जोगी क़ानून की डिग्री लेने के बाद वापस रायपुर चले आए थे। यहां उन्होंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज में टीचर की नौकरी करने लेगे। नौकरी के साथ जोगी सिविल सर्विसेस की परीक्षा की तैयारी भी करते थे।
3- टीचर पद पर रहते हुए जोगी ने सिविल सर्विसेस की परीक्षा दी और IPS के लिये चुने गये। तकरीबन डेढ़ साल तक पुलिस सेवा में रहने के बाद जोगी ने फिर से सिविल सर्विसेस परीक्षा दी और वो इस बार वे IAS बन गए।
4- अजीत जोगी के राजनीतिक गुरू राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) को माना जाता है। दरअसल, जब जोगी रायपुर में कलेक्टर के पोस्ट पर थे। उन दिनों राजीव गांधी एयर इंडिया के पायलट हुआ करते थे। राजीव जब भी रायपुर आते जोगी घर से चाय-नाश्ता लेकर उनसे मिलने पहुंच जाते. इस तरह जोगी राजीव गांधी के करीब आए।
5- जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बन गए तो उन्होंने जोगी को राजनिती में आने के लिए कहा। राजीव एक आदिवासी चेहरा ढ़ूँढ़ रहे थे जिसके लिए सबसे सही उन्हें अजीत जोगी लगे। जोगी उस वक्त इंदौर में कलेक्टर थे। राजीव के कहते ही वो मान गए और इस तरह से उनकी राजनीति में एंट्री हो गई।
6- जोगी की कांग्रेस में एंट्री हुई। एक आदिवासी नेता के तौर हुई थी। साल 1986 में कांग्रेस की टिकट पर वह राज्यसभा सांसद बनाए गए. इसके बाद जोगी का राजनीतिक सिक्का चमकने लगा, वह 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इसके बाद साल 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए।
7- कहा जाता है कि अजीत जोगी सांसद रहने के दौरान, हर रविवार वह उसी चर्च में प्रार्थना करने जाते थे जिसमें सोनिया गांधी जाती थीं। इसका मकसद उनका सोनिया गांधी की नजरों में आना था। हुआ भी ऐसा अगले कुछ साालों में वे गांधी परिवार के खास बन गए।
8- साल साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तो उस क्षेत्र में कांग्रेस को बहुमत था। बस मौका दस्तूर दोनों जोगी के साथ था। पार्टी ने उन्हें ही राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। जोगी 2003 तक राज्य के सीएम रहे।
9- राजनीति के धुरंधरों शुमार अजीत जोगी खुद अपने आप को ‘सपनों का सौदागार’ बताते थे। साल 2000 में जब अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उन्होंने कहा था, ”हां, मैं सपनों का सौदागर हूं। मैं सपने बेचता हूं।
10- अजीत जोगी पिछले 16 सालों से व्हीलचेयर पर थे. एक सड़क दुर्घटना के बाद उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन अजित जोगी अपने जीवन के अंतिम दिनों तक वे राज्य के सर्वाधिक चर्चित नेता बने रहे।