शारदीय नवरात्रि 2019 : बन रहे हैं ये दो शुभ संयोग, जानें किस वाहन पर सवार होकर आएंगी मां

Shardiya Navratri yog : नवरात्रि पर सोमवार के पड़ने से व्रत का बढ़ जाएगा महत्व
अमृतसिद्धि योग के चलते मनोकामनाओं के पूर्ण होने की उम्मीद

नई दिल्ली। इस बार शारदीय नवरात्रि पर दो शुभ संयोग बन रहे हैं। इससे पूजा का दोगुना लाभ मिलेगा, लेकिन माता के वाहन देश के लिए थोड़ी परेशानी का संकेत दे रहे हैं। क्योंकि विद्वानों के अनुसार इस बार देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर है। जबकि प्रस्थान के लिए देवी को नंगे पैर जाना पड़ेगा। ये कष्ट की ओर इशारा करता है।
1.पंडित रवि दुबे के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर से होगी, जो 8 अक्टूबर तक चलेगी। ये पूरे नौ दिनों के होंगे।

2.नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थसिद्धि योग से होगी। हिंदू धर्म में इसे बेहत फलदायी माना जाता है। इस मुहूर्त में देवी मां की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
3.इस नवरात्रि अमृतसिद्धि योग भी बन रहा है। ये साधना करने वालों के लिए बहुत शुभ रहता है। इस दौरान दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।

4.इस बार शारदीय नवरात्रि में दो सोमवार पड़ रहे हैं। इसे बेहद शुभ माना जाता है। क्योंकि शिव, देवी पार्वती के आराध्य हैं। ऐसे में सोमवार को नवरात्रि पूजा करने से दोगुना लाभ हो सकता है।
5.विद्वानों के मुताबिक सोमवार को नवरात्रि के पड़ने से इस दिन खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति का भाग्य बलवान होगा।

6.सोमवार का स्वामी चन्द्रमा होता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सोम कहा गया है और भगवान शिव को सोमनाथ। इसलिए इस दिन सफेद वस्त्र धारण करने और चांदी की चीज दुर्गा जी को चढ़ाने से मन को शांति मिलेगी।
7.सोमवार को नवरात्रि के पड़ने से इस दिन आदिशक्ति की आराधना करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होगी। इस दिन सफेद पुष्प,धूप, दीप, नैवेद्यादि चढ़ाना उत्तम होगा।

8.पंडित रवि दुबे के अनुसार नौ दिन के पूरे नवरात्रि होने से जातकों के जीवन में समृद्धि आती है। इस दौरान कन्या भोज कराने से धन-धान्य की वृद्धि होती है।
9.इस बार नवरात्रि पर देवी दुर्गा का वाहन हाथी है। मां इसी पर सवार होकर अपने भक्तों से मिलने आएंगी। दुर्गा जी की ये सवारी ज्यादा बारिश का संकेत देता है।

10.देवी मां के प्रस्थान की सवारी को लेकर विद्वानों में संशय है। कुछ जानकारों के मुताबिक देवी को इस बार नंगे पैर वापस जाना पड़ेगा। इससे भक्तों के जीवन में थोड़े कष्ट आ सकते हैं। वहीं अन्य विद्वानों के अनुसार देवी इस बार मुर्गे पर सवार होकर जाएंगी। ये व्याकुलता का प्रतीक है।
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