1.इस बार सर्व पितृ अमावस्या के शनिवार को पड़ने से दिन का महत्व अधिक हो गया है। ऐसा संयोग 20 सालों बाद बना है। इसलिए काले तिल का दान करने पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी।
2.28 सितंबर को गोचर में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन कन्या राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र ओर सूर्य ग्रह भी उपस्थित रहेंगे, जो विशेष फलदायी होंगे। ऐसे में पूर्वजों को सफेद फूलों की माला चढ़ाना अच्छा होगा।
3.पितृ पक्ष में पृथ्वी पर आते हैं और पितृ पक्ष के आखिरी दिन वे अपने लोक वापस लौट जाते हैं। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पूर्वजों को खीर का भोग लगाना चाहिए। 4.पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए सर्वपितृ अमावस्या पर एक लोटे में जल, फूल, दूर्बा, गुड़ और तिल मिलाएं। अब इसे पितरों को अर्पित करें। जल अर्पित करने के लिए जल हथेली में लेकर अंगूठे की ओर से चढ़ाएं।
5.श्राद्ध कार्य सूर्योदय से लेकर दोपहर के 12:24 मिनट की अवधि के मध्य करें। प्रयास करें कि इसके पहले ही ब्राह्मण से तर्पण आदि करा लें। 6.श्राद्ध कार्य में दूध, गंगाजल, शहद, वस्त्र, कुश और तिल का शामिल होना बहुत जरूरी होते हैं। तुलसीदल से पिंडदान करने से पितर तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
7.श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपराचली आ रही है। इसलिए अपने सामथ्र्यनुसार किसी 1 या ज्यादा ब्राह्मण को भोजन कराएं। 8.अगर आपके पास रुपए-पैसों की कमी नहीं है तो आप तर्पण आदि कामों में चांदी के बर्तन का उपयोग करें। क्योंकि ये पूजन के लिए शुद्ध माने जाते हैं।
9.सर्वपितृ अमावस्या के दिन कौआ और कुत्ते को खाना खिलाने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे पितरों की भटकती आत्मा को शांति मिलती है। 10.पितृ पक्ष के आखिरी दिन तर्पण कार्य करने के बाद किसी पवित्र नदी में डुबकी लगानी चाहिए। इससे मोक्ष की प्राप्ति होगी।