गणेश पूजन में भूलकर भी न चढ़ाएं ये एक चीज, मिल सकता है अशुभ परिणाम

तपस्या भंग होने पर गणेश जी को आया था गुस्सा, इन्हें दिया था श्राप

<p>गणेश पूजन में भूलकर भी न चढ़ाएं ये एक चीज, मिल सकता है अशुभ परिणाम</p>
नई दिल्ली। यूं तो अमूमन सारे भगवान की पूजा में हम तुलसी दल चढ़ाते हैं। इसे शुभ और पवित्र माना जाता है, लेकिन गणेश जी की पूजा में इसे भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे अच्छे की जगह बुरे परिणाम मिलते हैं। तो क्या है इसकी वजह आइए जानते हैं।
1.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार एक बार गणेश जी गंगा के तट पर तपस्या कर रहे थे, तभी धर्मात्मज की पुत्री तुलसी वहां पहुंची। गजानन के अद्भुत रूप को देखकर तुलसी उन पर मोहित हो गई और उनका तप भंग करने की कोशिश की।
2.गणेश जी की तपस्या भंग होने पर तुलसी ने उनसे विवाह करने की इच्छा जताई। इससे लंबोदर नाराज हो गए और उन्हें एक असुर से विवाह होने का श्राप दे दिया।

3.तपस्या भंग होने से गणेश काफी नाराज थे। वे तुलसी की गलत मंशा से परेशान थे। इसी कारण उनकी पूजा में तुलसी दल चढ़ाना वर्जित है। यदि कोई भक्त गणपति पूजन में तुलसी के पत्ते चढ़ाता है तो उसे कई दोष लगते हैं।
4.तुलसी के गणेश को विवाह का प्रस्ताव देने से गजानन क्रोधित थे। क्योंकि उस वक्त वो ब्रम्ह्चर्य जीवन का पालन कर रहे थे। इसलिए पूजा में तुलसी के पत्ते चढ़ाने से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में समस्याएं आती हैं, साथ ही शादी में देर भी हो रही होती है।
5.तुलसी दल को पवित्र माना जाता है, लेकिन यही गणपति पूजन में अशुभ मानी जाती है। ग्रंथों के अनुसार विष्णु जी को तुलसी दल अर्पण करने से मोक्ष मिलता है। जबकि गणेश पूजन में इसे अर्पित करने से व्यक्ति को सांसारिक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
7.गणपति पूजन में तुलसी दल चढ़ाने से व्यक्ति के कार्यो में फंसाव रहते हैं। इससे व्यक्ति चाहकर भी तरक्की नहीं कर पाता है। क्योंकि तुलसी से क्रोधित होने का असर जातक पर भी पड़ता है।
8.गणेश जी ने तुलसी के विवाह का प्रस्ताव ठुकरा कर उन्हें नाराज कर दिया था। तभी तुलसी ने भी गजानन को श्राप दिया था कि वो दो कन्याओं से विवाह करेंगे, लेकिन इसमें उनकी मर्जी शामिल नहीं होगी। इसी श्राप के फलस्वरूप गणेश की ऋद्धि और सिद्धि दो पत्नियां हैं।
9.जब श्रीगणेश ने तुलसी को एक असुर से विवाह होने का श्राप दिया था तब तुलसी जी बहुत आहत थीं, लेकिन तुलसी के पुण्य कर्मों के चलते भगवान गणेश ने उन्हें ये आशीर्वाद भी दिया था कि एक असुर से विवाह होने के बावजूद तुम विष्णु जी की प्रिय होगी और तुम्हारी पूजा से लोगों को बैकुंठ की प्राप्ति होगी।
10.मालूम हो कि तुलसी का विवाह शंखचूर्ण नामक राक्षस से हुआ था, मगर इसके आतंक से सभी लोग परेशान थे। असुर का वध करने के लिए भगवान विष्णु तुलसी के पति का रूप धारण करके वहां पहुंचे थे।
 
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