Amavasya 2020 : भाद्रपद अमावस्या आज, पितरों की आत्मा की शांति के लिए जानें क्या करें और क्या नहीं

Bhadrapada Amavasya 2020 : भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को भाद्रपद अमावस्या कहते हैं
भाद्रपद अमावस्या को पूर्वजों की आत्मा की शांति के दिन दान देना शुभ माना जाता है

<p>Bhadrapada Amavasya 2020 </p>
नई दिल्ली। भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को भाद्रपद अमावस्या (Bhadrapada Amawasya 2020) कहते हैं। इसे भादों अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह तिथि 18 अगस्त यानि आज है। इस दिन दिन दान-पुण्य एवं पितरों की शांति के लिए तर्पण (Tarpan) करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इससे नकारात्मक शक्तियों से भी बचाव होता है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसका काफी महत्व है। इसलिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1.भाद्रपद अमावस्या को किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना शुभ माना जाता है। इससे आत्मा पवित्र होती है। इसके अलावा अपने पूर्वजों के नाम से दान करने पर घर में सुख—शांति आती है। आज के दिन नहाने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना भी अच्छा माना जाता है।
2.पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और दान करें। इससे आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी। जिसके चलते जीवन में आ रहीं बाधाएं एवं अन्य दोष दूर होंगे।

3.अमावस्या के दिन को शनिदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इसलिए आज के दिन सरसों का तेल, काला कपड़ा, काले तिल एवं शनि से संबंधित चीजों का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इससे शनि दोष से भी छुटकारा मिलेगा।
4.कुंडली में राहु और केतु की खराब स्थिति के चलते कालसर्प दोष होता है। इसके निवारण के लिए भी भाद्रपद अमावस्या के दिन काले तिल का दान करना अच्छा माना जाता है। साथ ही बुजुर्गों को खाना खिलाने से पुण्य मिलता है।
5.आज के दिन सुबह और शाम को तुलसी के पौधे पर दीया जलाना शुभ माना जाता है। इससे पारिवारिक कलह और दरिद्रता दूर होती है।

6.भाद्रपद अमावस्या के दिन मांस—मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे निर्धनता आ सकती है।
7.इस दिन शुभ कार्यों जैसे—गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत आदि धार्मिक संस्कार करने से बचना चाहिए। इसके अलावा इस तिथि में खेत जोतने या हल चलाने की भी मनाही होती है।

8.अमावस्या के दिन क्रोध या लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए। साथ ही सदाचार का पालन करना चाहिए।
9.अमावस्या को किसी के घर भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन नकारात्मक शक्तियां प्रभावशाली होती हैं इसलिए दूसरों के यहां खाना—खाने से बचें।

10.वैसे तो अमावस्या के दिन बच्चे को जन्म नहीं देना चाहिए। मगर ये एक स्वभाविक प्रक्रिया है इसलिए बच्चे के जन्म पर शांति पाठ कराएं।
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