अपनी जान जोखिम में डालकर क्वारंटाइन सेंटर में रहने वालों को खान खिलाती है रुखमणी, ड्यूटी और सेवा से बनाई अलग पहचान

सेक्टर-3 भिलाई क्वारंटाइन सेंटर में तीन माह से ड्यूटी करने वाली रुखमणी कहती है कि उसका काम क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले की सेवा करना है। (Fight against Corona)
 

<p>अपना जान जोखिम में डालकर क्वारंटाइन सेंटर में रहने वालों को खान खिलाती है रुखमणी, ड्यूटी और सेवा से बनाई अलग पहचान</p>
दुर्ग. हर आदमी की पहचान उसके कार्यों से होता है। कोविड ड्यूटी करने वाले प्रत्येक कर्मचारी की जितनी भी सराहना की जाए कम है। इनमें कुछ ऐसे है जो कोविड ड्यूटी तो कर रहे हैं लेकिन ड्यूटी के दौरान किए गए सेवा से अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। ऐसे ही कर्मचारियों में जिला अस्पताल की चतुर्थ वर्ग कर्मचारी रुखमणी गुप्ता है। कई बार वह ऐसे व्यक्तियों को अपने हिस्से के भोजन को दे देती है जो ग्रामीण क्षेत्र से आकर रह रहे हैं और उनका डाइट सामान्य से अधिक होता है।
सेक्टर-3 भिलाई क्वारंटाइन सेंटर में तीन माह से ड्यूटी करने वाली रुखमणी कहती है कि उसका काम क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले की सेवा करना है। वह सुबह शाम चाय नास्ता के अलावा दोपहर व रात में भोजन पैकेट वितरण करती है। भोजन वितरण के समय अव्यवस्था न हो और कोई एक दूसरे के संपर्क में न आ जाए इसके लिए उन्होंने स्वयं के विवेक से इंतजाम किया है।
अक्षय पात्र से भोजन आने के बाद वह सभी को फिजिकल डिस्टेंस में बैठने कहती है और सभी को दूर से पत्तल के साथ भोजन का पैकेट देती है। इस दौरान कई ऐसे सख्स होते है जिनका पेट 1 भोजन पैकेट से नहीं भरता। उन्हें वह अपने हिस्से का पैकेट दे देती है। वह बताती है कि उनका भोजन क्वारंटाइन सेंटर में ही बंधा हुआ है। सुबह से वह देर शाम तक वहीं रहती है। वह स्वंय का भोजन व्यवस्था घर से करती है और वहां मिले भोजन को जरुरतमंदो को देती है।
ड्यूटी करना गर्व की बात
47 साल की परित्यक्ता रुखमणी बताती है कि वह आठवीं तक पढ़ी हूं। जीवनदीप समिति के माध्यम से वह जिला अस्पताल में ड्यूटी कर रही है। उसका मानना है कि पूरे विश्व में कोरोना फैल चुका है। बड़े अधिकारी से लेकर छोटे कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं। वह कहती है कि कोविड ड्यूटी करना गर्व की बात है।
पॉजिटिव मरीज मिलने पर हो गई थी चितिंत
पूछने पर वह बताती है कि क्वारंटाइन सेंटर में कार्य करते समय बेहद सावधानी बरतती है। मास्क व ग्लबस के बिना नहीं रहती। मई में वहां रहने वाले 3 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्हें वह चाय नास्ता लेकर भोजन कराती थी। पॉजिटिव शब्द सुनने के बाद उसे बुखार सा होने लगा था। बाद में क्वारंटाइन प्रभारी डॉ. अनिल शुक्ला ने उसे समझाया और जांच कराया। रिपोर्ट आने के बाद उसने राहत की सांस ली।
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