ऑनलाइन ठगी के अन्तरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश

डूंगरपुर. इंश्योरेंस कंपनियों के डिफोल्टर्स से संपर्क कर उन्हें जमा राशि दुगुनी होने सहित अन्य लालच देकर ऑनलाइन ठगे करने वाले अंतरराज्जीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए डूंगरपुर पुलिस ने पांच आरोपियों को महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश से गिरफ्तार किया। आरोपियों ने राजस्थान के सात-आठ जिलों सहित उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र में कई लोगों को झांसे में लेते हुए अब तक करीब ढाई करोड़ की ठगी करना स्वीकार किया है। इस मामले में तीन महिलाओं सहित छह आरोपी फरार हैं।

<p>ऑनलाइन ठगी के अन्तरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश</p>

डूंगरपुर. इंश्योरेंस कंपनियों के डिफोल्टर्स से संपर्क कर उन्हें जमा राशि दुगुनी होने सहित अन्य लालच देकर ऑनलाइन ठगे करने वाले अंतरराज्जीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए डूंगरपुर पुलिस ने पांच आरोपियों को महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश से गिरफ्तार किया। आरोपियों ने राजस्थान के सात-आठ जिलों सहित उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र में कई लोगों को झांसे में लेते हुए अब तक करीब ढाई करोड़ की ठगी करना स्वीकार किया है। इस मामले में तीन महिलाओं सहित छह आरोपी फरार हैं।
पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने बताया कि २५ जनवरी २०२१ को रामनगर निवासी सेवानिवृत्त प्राचार्य योगेश रोत ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि प्रार्थी ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसी ली थी। एक किश्त जमा कराने के बाद दोबारा किश्त जमा नहीं कराई। उक्त पॉलिसी को बंद कराकर राशि वापस प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन कस्टमर केयर का नंबर ढूंढ कर संपर्क किया। कॉल रिसीव करने वाले ने उसके नाम से चार फाइल होना बताया। एप्लीकेशन चार्ज तथा सुपर गोल्ड फाइल खुलवाने पर आठ लाख रुपए दिए जाने का झांसा दिया। इसके लिए अलग-अलग चार्जेज बताए। प्रार्थी ने उसकी बातों में आकर अलग-अलग समय में कुल 43 लाख 47 हजार 400 रुपए खाते में जमा करा दिए। बाद में ठगी का अहसास हुआ।
पुलिस व साइबर टीम ने छानबीन कर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए महाराष्ट्र निवासी मुकेश (34) पुत्र राधेश्याम ठाकुर, अंबरपुरा उत्तरप्रदेश निवासी भुपेन्द्र प्रताप उर्फ पंकज (27) पुत्र सहदेव सिंह, कउंद की भुड़ उत्तरप्रदेश निवासी मुकेश (26) पुत्र राधेश्याम रावत, सबदलपुरा उत्तरप्रदेश हाल दिल्ली निवासी मकसूद अहमद (24) पुत्र महबूब अहमद व उसका भाई मेहताब अहमद (22) को गिरफ्तार किया। वहीं सिवालखास उत्तरप्रदेश निवासी नासिर पुत्र मुन्ना खान, सबदलपुरा उत्तरप्रदेश निवासी इमरान पुत्र महबूब अहमद, महाराष्ट्र निवासी शंकर पुत्र सुभाष व साजिया, सना व मोहिनी फरार हैं। पुलिस ठगी की राशि बरामद करने का प्रयास कर रही है।
इस तरह करते थे ठगी
पुलिस अधीक्षक जोशी ने बताया कि गिरोह ने दिल्ली में एक ऑफिस बना रखा है। इसमें लगभग दस से अधिक का स्टॉफ कार्यरत है। इसमें चार-पांच लडकियां भी शामिल हंै। वह लाइफ इंश्योरेंस डिफोल्डर की ऑनलाइन तलाश कर उन्हें कॉल करते हैं। एक युवक मैनेजर बनकर बात करता है और सामने वाले को इंश्योरेंस फण्ड में जमा कराई गई राशि डबल होने का झांसा देते हैं। जमा राशि प्राप्त करने के लिए कई तरह के चार्जेज बताकर राशि विभिन्न खातों में जमा करने को कहते हैं। खाते में रुपए जमा करवाने के बाद उस खाते से अन्य चार-पांच खातों में रुपए ट्रांसफर कर खाता बंद कर देते हैं। साथ ही मोबाइल नंबर भी बंद कर देते हैं।
इस तरह किया खुलासा
प्रार्थी योगेश रोत ने रिपोर्ट में बताया था कि उसने सबसे पहले राशि आईजीएमएस कुरियर के बैंक खाता में जमा कराई थी। कोतवाली पुलिस ने साइबर टीम की मदद से जांच शुरू की। इसमें उक्त खाता वाशिम महाराष्ट्र निवासी शंकर व महेन्द्र का होना पाया गया। टीम महाराष्ट्र पहुंची और महेन्द्र को डिटेन कर पूछताछ की। महेन्द्र ने बताया कि उसके मित्र भुपेन्द्र प्रताप सिंह ने खाते में आने वाली राशि का १५ प्रतिशत का लालच देकर खाता खुलवाने के लिए कहा था। इस पर पुलिस ने भुपेन्द्र को डिटेन किया। पूछताछ करने पर उसने अपने मित्र नासिर, मुकेश, मकसूद व मेहताब की ओर से १० प्रतिशत देने का लालच देकर खाता खुलवाना बताया। इस पर पुलिस ने मुकेश, मकसूद व मेहताब को गिरफ्तार किया।
फर्जी दस्तावेजों से खुलवाते थे खाता
ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी फर्जी दस्तावेजों से ऑनलाइन ही बैंक में कंपनी के नाम का खाता खुलवाते है। वारदात के बाद खाते से राशि निकालकर उसे बंद कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर आरोपियों ने आईजीएमएस कुरियर कंपनी का खाता बताकर योगेश रोत से ४३ लाख ४७ हजार ४०० रुपए डलवाए। बाद में राशि ट्रांसफर कर खाता बंद कर दिया।
इस टीम को सफलता
गिरोह का पर्दाफाश करने में कोतवाली थानाधिकारी दिलीपदान, एसआई गौतमलाल, हैड़कांस्टेबल धर्मेंद्रसिंह, कांस्टेबल आशीष, द्यमगन व साइबर सेल से राहुल त्रिवेदी, अभिषेक व जोगेन्द्रसिंह शमिल रहे।
अब तक ढाई करोड़ की ठगी
पुलिस अधीक्षक जोशी ने बताया कि पुलिस की ओर से आरोपियों के अकाउंट्स की जांच करने पर खातों में लगभग ढाई करोड़ के ट्रांजेक्शन पाए गए हैं। आरोपियों ने लोगों से अब तक ढाई करोड़ से अधिक की ठगी कर चुके हैं। वहीं आरोपियों ने कुछ दिनों पहले सवाई माधोपुर से 10 लाख की ठगी का मामला भी सामने आया।
यहां की वारदातें
गिरोह ने राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, सवाईमाधोपुर, झुंझुनूं व पाली जिलों में वारदातें की। इसके अलावा दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के लोगों को भी ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाया।
रोजगार नहीं मिलने पर शुरू कर दी ठगी
मुकेश व मकसूद से पूछताछ करने पर बताया कि रोजगार नहीं मिलने पर उन्होंने पर ऑनलाइन ठगी का कार्य शुरू किया। मेहताब ने अपने भाई मकसूद को 15 हजार सैलेरी पर नियुक्त किया। मकसूद पहले इंश्योरेंस कम्पनी में काम करता था। इसलिए ग्राहकों से बात करने का तरीका जानता था। आरोपियों अपने मित्रों को कंपनी के नाम पर खाता खुलवाने पर खाते में आने वाली राशि का 10 से 15 का लालच देते थे।
ई-मित्र व बैंक मैनेजर के मना करने पर डाले खाते में रूपए
योगेश रोत प्राचार्य के पद से रिटायर हुए हैं। उन्होंने अपने पेंशन राशि से पहले ई-मित्र से 7 लाख 50 हजार रुपए आरोपियों के खाते में डलवाए। ई-मित्र संचालक की ओर से इनको समझाने पर भी यह नहीं माने, तो यह एचड़ीएफसी बैंक मैनेजर के पास गए। मैनेजर ने भी इनको सचेत किया कि आपके साथ ठगी हो रही है। लेकिन यह अपनी बात पर अड़े रहे और 43 लाख 47 हजार 400 रूपए का ट्रांजेक्शन कर दिया।
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