स्तनपान से शिशु मृत्युदर में 20 फीसदी की कमी लाई जा सकती है। प्रसव बाद बच्चे को दूध पिलाने के लिए प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटॉसिन हार्मोन बनते हैं। पहले दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं। यह शिशु को पीलिया से रक्षा करता है। ब्रेस्टमिल्क बढ़ाने के लिए दूध, चावल की खीर लें। जीरे को हल्का भूनें। सुबह-शाम खाने के बाद इसे तांबें के बर्तन में पानी के साथ आधा चम्मच लेने से दूध की गुणवत्ता बढ़ती है। आयुर्वेद में शतावरी, विदारीकंद मिलाकर 5 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लेने से दूध की मात्रा बढ़ती है।
Myth & Truth
सामान्य डिलीवरी और स्तनपान से मां का शरीर बेडौल हो जाएगा। यह गलत धारणा है। स्तनपान से मां का वजन नियंत्रित होता है। ब्रेस्ट कैंसर की आशंका घटती है। शिशु को छह माह तक केवल स्तनपान कराएं।
शिशु को दें नौ माह बाद फल-सब्जियां
बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए, स्वस्थ, पौष्टिक और सुपाच्य सारे गुण मां के दूध के अलावा किसी चीज में नहीं होते। शिशु को छह माह बाद उबली सब्जियां, फल और नौ माह बाद अन्न देना चाहिए।
डॉ. राखी आर्य, स्त्री-रोग विशेषज्ञ, जनाना अस्पताल, जयपुर
डॉ. हेतल दवे, स्त्री रोग विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर
स्तनपान की दर
जन्म के बाद तुरंत बच्चे को मां का दूध पिलाने से रोग प्रतिरोधकता मजबूत होती है।
54.9% है देश में छह माह तक स्तनपान की दर
58.2% है राजस्थान में छह माह तक केवल स्तनपान की दर
आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16)