रोग और उपचार

महिलाएं न करें इन तीन समस्याओं की अनदेखी

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Published: August 03, 2018 04:55:45 am
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पारा चढऩे के साथ महिलाओं की सेहत पर खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए जिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। गर्मी में तापमान बढऩे से शरीर में असंतुलन और कुछ जरूरी पदार्थों की कमी होती है जिससे हम बीमार होते हैं।

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माहवारी में हो सकती अनियमितता - गर्मी बढऩे से महिलाओं के दिमाग का हाइपोथैलमस हिस्सा प्रभावित होता है। हाइपोथैलमस से माहवारी नियंत्रित होती है जैसे पीरियड्स का समय, रक्तस्राव और कब माहवारी बंद होनी है। इसमें पेट दर्द, आलस, कमजोरी, थकान होती है। आराम के लिए महिला या लडक़ी का शीत गुण संतुलित करते हैं। छाछ, नारियल पानी, खीरा, ककड़ी खाने की सलाह देते हैं।

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गर्भपात की आशंका - प्रकृति में उष्मगुण बढऩे से गर्भपात का खतरा रहता है। इसमें पेट में भारीपन के साथ दर्द, अचानक रक्तस्राव होना प्रमुख लक्षण हैं। गर्भपात से बचाव के लिए सत्त् शौत घृत प्रक्रिया के तहत पेट पर मेडिकेटेड घी लगाते हैं। शतावरी चूर्ण देते हैं। ज्यादा आराम करें।

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गर्मी से बढ़ता समय पूर्व प्रसव का खतरा - गर्मी से शरीर की क्रिया में बदलाव होते हैं। गर्भवती के भीतर जैसे ही ये बदलाव होंगे उसे समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो जाएगी। प्रसव ३७ सप्ताह से पहले हो गया तो शिशु के फेफड़ों का विकास नहीं हो पाता है जिससे उसे सांस लेने में परेशानी होती है। गर्मी की वजह से समय पूर्व प्रसव से बचाने के लिए गर्भवती को जीवन्ती, दूध के साथ शतावरी खाने और पेट पर मेडिकेटेड घी लगाने के लिए कहा जाता है।

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