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Blood Sugar के मरीजों में इस विटामिन की कमी से बढ़ती है परेशानी, जानिए कैसे करें इस कमी को पूरा

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Published: March 02, 2024 11:12:35 am
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डायबिटीज (Diabetes) के रोगियों के लिए थकान और कमजोरी (Fatigue and weakness बहुत ही आम समस्या होती है। यह समस्या गंभीर हो सकती है। खानपान के द्वारा डायबिटीज (Diabetes) को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन शरीर में थकान और कमजोरी का होना समस्या बन सकता है, जिसकी जिम्मेदारी विटामिन डी (Vitamin D) की कमी होती है।

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डायबिटीज (Diabetes) में ब्लड शुगर हाई होने के कारण इंसुलिन का कम बनना होता है, जो कोशिकाओं में एनर्जी पहुंचाने का काम करता है। इसकी कमी से आपको हर वक्त थकान (Tiredness) महसूस हो सकती है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक डायबिटीज (Diabetes) के कारण लोगों में हृदय रोग, किडनी की परेशानी या फिर किडनी फेल होने और ग्लूकोमा यानी आंखों में दिक्कत बढ़ती है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम विटामिन डी (Vitamin D) की कमी को पूरा करने के लिए सही उपाय अपनाएं।

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विटामिन डी और डायबिटीज का संबंध Relation of Vitamin D and Diabetes
विटामिन डी (Vitamin D) टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) को रोकने में मदद करता है। विटामिन डी (Vitamin D) की कमी से पैन्क्रियाटिक सही से काम नहीं कर पाता जिससे इंसुलिन बनने की क्रिया पर भी प्रभाव पड़ता है।

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विटामिन डी की कमी से होने वाली परेशानियां Problems caused by Vitamin D deficiency
विटामिन डी (Vitamin D) की कमी से डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों को थकान और कमजोरी बेहद महसूस होती है। विटामिन डी (Vitamin D) की कमी होने से हड्डियां और आंखें कमजोर होने लगती है। शुगर के मरीजों में विटामिन डी (Vitamin D) की कमी होने से शरीर के अंदर होने वाली कई प्रक्रियाएं धीमी पड़ने लगती हैं।

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विटामिन डी की कमी को ऐसे करें दूर How to overcome Vitamin D deficiency

सुबह-सुबह की धूप लेना शुरू कर दें। इससे हड्डियां और मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग रहती हैं। डाइट में कॉड लिवर ऑयल, मशरूम, संतरा आदि का सवेन करें। इसके अलावा मौसमी, अंगूर खा सकते हैं। सब्जियों में अंकुरित मूंग, चना, हरी और लाल मिर्च, पालक, सरसों का साग, आलू, टमाटर, नींबू में मुख्य रूप से पाया जाता है

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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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