मिठाई की दुकानों पर बनने वाले कचोरी समोसे जिस तेल में बनाए जाते हैं वो आपकी सेहत की बैंड बजा सकते हैं। दुकानदार मुनाफा कमाने के लिए अक्सर कड़ाही में बचा तेल चार से पांच बार इस्तेमाल करते हैं, जिससे आप खतरनाक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। ये परिणाम हाथों हाथ भी मिल सकते हैं और कभी-कभी कुछ समय बाद भी। लोग बाहरी खाना ज्यादा खाते हैं और क्वालिटी फूड की अनदेखी करते हैं, उन्हें कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
इस्तेमाल किए तेल को फेंक दें
कड़ाही में बचा तेल दुबारा प्रयोग करने से पहले उसके रंग और गाढ़ेपन पर नजर डालना जरूरी है। अगर तेल गहरे रंग और गाढ़ा दिखे या उसमें से अजीब सी गंध आ रही हो तो उसे प्रयोग न करें।
हो जाती हैं खतरनाक बीमारियां
खाना बनाने में कड़ाही में बचा तेल प्रयोग करने पर उसमें फ्री रेडिकल्स बन जाते हैं, जो अनेक प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। एक ही तेल को बार बार तलने के लिए इस्तेमाल करने से उसकी गंध तो खत्म हो ही जाती है और उसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स भी खत्म हो जाते हैं, जिससे यह तेल कैंसर पैदा करने वाला खतरा बन जाता है। साथ ही साथ इस कड़ाही में बचा तेल खाना बनाने के लिए प्रयोग करने पर कोलेस्ट्रोल बढ़ सकता है। इसके अलावा एसिडिटी, दिल की बीमारी, अल्जाइमर और पार्किसंस समेत कई घातक बीमारियां हो सकती हैं।
बार-बार तेल उबालने से उसमें कैंसर के कारक तत्व आ जाते हैं। इससे गॉल ब्लाइडर या पेट के कैंसर का खतरा पैदा हो जाता है। गंगा के किनारे वाले इलाकों में ऐसे कई मामले पाए गए हैं।
ध्यान दें
सभी तेल समान नहीं होते। कुछ तेल बहुत ज्यादा तापमान पर गर्म होते हैं। मसलन सोयाबीन, राइस ब्रान, सरसों, मूंगफली, कैनोला और तिल का तेल।
तेल का वास्तविक रंग बदल गया है तो उसे बिना हिचक फेंक दें।
ऑलिव ऑयल को डीप फ्राई के लिए इस्तेमाल न करें।
सस्ते तेल जो जल्दी गर्म हो जाते हैंए जिनमें आंच पर रखते ही झाग बनने लगे उसका इस्तेमाल न करें। ये एडल्ट्रेटेड ऑयल होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं।
एक साथ या एक बार में कई तेल इस्तेमाल न करें। एक समय में एक ही तेल का उपयोग करें।