मोटापा घटाने को एक साल पुराना शहद लें,एंटी एजिंग में भी कारगर

शहद पाचन शक्ति मजबूत करता है। इसके सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है। शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।

<p>मोटापा घटाने को एक साल पुराना शहद लें,एंटी एजिंग में भी कारगर</p>

शहद पाचन शक्ति मजबूत करता है। इसके सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है। शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसको हजम करने की आवश्यकता नहीं होती, यह स्वयं पचा हुआ एक पोषक आहार है। इसके प्रयोग से शरीर को सीधे तौर पर ऊर्जा मिलती है। इसे बच्चे, बूढ़े, जवान और रोगी सभी कर सकते हैं।

शहद शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक आदि खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। टाइफाइड, निमोनिया में शहद लेने पर लिवर, आंतों की कार्यक्षमता बढ़ाता है। आयुर्वेद के अनुसार अलग-अलग पेड़ों पर पाए जाने वाले शहद की अपनी खासियत होती है। नीम के पेड़ का शहद आंखों के लिए, जामुन के पेड़ का डायबिटीज के लिए, सहजना के पेड़ का ब्लड-प्रेशर में लाभदायक होता है। कमल के फूलों की शहद सबसे अच्छी होती है।

मधुमेह रोगियों को रात में सोने से पहले 10 ग्राम शहद व 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण मिलाकर गर्म पानी के साथ लें। नीम के पेड़ों पर बने शहद का उपयोग कर सकते हैं। ज्यादा मात्रा में शहद का इस्तेमाल मधुमेह रोगी को नुकसान पहुंचा सकता है। बीपी के मरीजों को एक चम्मच लहसुन का रस और शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है। गहरे रंग के शहद में ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट होता है।

आयुर्वेद के अनुसार सोने से पूर्व एक गिलास पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है। बालों की अच्छी कंडिशनिंग के लिए शहद और जैतून का तेल मिलाकर लगाकर तौलिये से ढंक लें। बीस मिनट लगे रहने के बाद शैम्पू करें, बाल निखर जाएंगे। एक किलो शहद में 5500 कैलोरी होती है। शहद में पाए जाने वाली शर्करा का 75 प्रतिशत ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुल्फोज, माल्टोज और लैक्टोज के रूप में होती है। शहद खराब नहीं होता है। उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

घी, गर्म चीजों के साथ बराबर प्रयोग न करें
किसी बीमारी के इलाज के लिए बिना विशेषज्ञ की सलाह के शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ज्यादा प्रयोग करने से पेट खराब हो सकता है। दस्त एवं उल्टियां भी आ सकती है। घी के साथ या गर्म चीजों के साथ बराबर मात्रा में प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है। एक साल से कम उम्र के शिशुओं को शहद नहीं देना चाहिए। संक्रमण हो सकता है। दस वर्ष से बड़े बच्चे को एक मटर के दाने के बराबर शहद देना चाहिए। उसके ऊपर के बच्चे को एक चम्मच शहद देना लाभदायक होता है।

इन्फेक्शन में कारगर
पेशाब के इन्फेक्शन में दालचीनी चूर्ण, शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से बैक्टीरिया दूर होते हैं। अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी-जुकाम में आराम मिलता है। कब्ज में शहद को टमाटर या संतरे के जूस में प्रयोग करने से फायदा मिलता है।

तेजी से घाव भरता
शहद घाव के बैक्टीरिया नष्ट कर शीघ्र भरपाई करता है। घाव पर शहद सीधे लगाने की बजाय इसे पट्टी या रुई पर लगाकर फिर घाव पर लगाएं। होठों पर लगाने से होंठ नर्म, मुलायम होते हैं। मुहांसों पर रात में सोते समय दालचीनी चूर्ण, शहद मिलाकर लगाएं और सुबह धो लें।

सांसों की बदबू से छुटकारा
शहद, गुनगुना पानी, दालचीनी चूर्ण मिलाकर कुल्ला करने से सांसों की बदबू आना बंद होगा। गुनगुने पानी में शहद लेने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है।

स्वांस की समस्या दूर होती
शहद से भरे बर्तन में सूंघने से श्वांस की समस्या दूर होती है। यह शहद में पाए जाने वाले अल्कोहल और इथेरल तेल तत्वों की वजह से होता है।

जोड़ों के दर्द में दालचीनी, शहद मिलाकर धीरे-धीरे मालिश करें। चाय में शहद, दालचीनी चूर्ण मिलाकर पीने से जोड़ों के दर्द, जकडऩ में आराम मिल सकता है।
डॉ. सुमित कुमार नथानी, सहायक प्रोफेसर, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर

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