दवा का कोर्स अधूरा छोडऩे पर हो सकता है संक्रमण
1928 में एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व में 7 लाख लोगों की मौत एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के कारण हो रही हैं।
हर समस्या में इन दवाओं को लेना ठीक नहीं
इंन्फेक्शन वाली बीमारियों में एंटीबायोटिक कारगर हैं। कई परिस्थितियों में यह जीवनदायक होती हैं लेकिन हर समस्या में इन दवाओं को लेना ठीक नहीं माना जाता है।
इन्फेक्शन में कारगर
बीमारी के लक्षणों के अनुसार विशेषज्ञ जांच कर पता लगाते हैं कि यह बैक्टीरियल इंफेक्शन है या वायरल। बैक्टीरियल इंफेक्शन रक्त, यूरिन, फेफड़ों व घाव आदि के इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं कारगर मानी जाती हंै।
एलर्जी: एंटीबायोटिक से एलर्जी होने पर त्वचा व सांस, गले, फेफड़े में सूजन की समस्या हो सकती है।
प्रतिरोध क्षमता बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेने से बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ऐसे में इन दवाओं का असर धीमा या नहीं होता है। एंटीबायोटिक लेने पर संवेदनशील जीवाणु तो खत्म हो जाते हैं लेकिन प्रतिरोधी जीवाणओं पर असर नहीं होता है। वे अपनी ताकत व संख्या बढ़ाते रहते हैं। फिर होता यह है कि अगली बार जब ऐसा संक्रमण दोबारा होता है तो दवाओं का असर नहीं होता। मेथिसिलिन रेसिस्टेंट स्टैफिलोकॉकस ऑरियस (एमआरएसए) से ऐसे संक्रमण होते हैं जो सामान्य एंटीबायोटिक के लिए प्रतिरोधी होती हैं। यदि मरीज विशेषज्ञ के अनुसार दवा नहीं लेता है तो मर्ज ठीक होने के बजाय बढ़ सकता है।
अनावश्य दवाएं न लें
बैक्टीरिया व वायरल संक्रमणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक्स के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने से दुनियाभर में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की समस्या गंभीर हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इलाज जटिल होगा। वायरल संक्रमण का असर वायरस का चक्र पूरा होने पर स्वत: ही कम हो जाता है। खांसी जुकाम व बुखार वायरस के कारण होने वाले रोग हैं। इनमें एंटीबायोटिक्स काम नहीं करती हैं।
सावधानी से करें प्रयोग
दवा को विशेषज्ञ की सलाह अनुसार लेंं। जिस बीमारी के लिए लिखी गई है उसी के लिए लें। ना दूसरों से पूछकर कोई दवा लें और न ही किसी को अपनी दवा खाने को दें। यदि कोई दुष्प्रभाव दिखता है तो तुरंत विशेषज्ञ को बताएं। खराब हो चुकी दवा न लें। दवा लेते समय निर्देशों को ध्यान पूर्वक पढ़ें। समय से पूर्व दवा छोडऩे पर कुछ जीवाणु बचकर वापस संक्रमित कर सकते हैं। ऐसे में इसका पूरा कोर्स लें।
डॉ. अशोक राजपुरा, सर्जन