Shift Work Disorders: शिफ्ट वर्क से बढ़ता है हृदय रोग, स्ट्रोक, टाइप 2 मधुमेह का खतरा

Shift Work Disorders: आप भी यदि रात की शिफ्ट में काम करने के शौकिन हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि यह आपको कई बीमारियों से ग्रस्त कर सकता है। भारतीय मूल के शोधकर्ता की अगुवाई में किए गए अध्ययन की समीक्षा के अनुसार, शिफ्ट के कर्मचारियों को नींद की बीमारी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम

<p>Shift Work Disorders: शिफ्ट वर्क से बढ़ता है हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह का खतरा</p>
Shift Work Disorders in Hindi: आप भी यदि रात की शिफ्ट में काम करने के शौकिन हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि यह आपको कई बीमारियों से ग्रस्त कर सकता है। भारतीय मूल के शोधकर्ता की अगुवाई में किए गए अध्ययन की समीक्षा के अनुसार, शिफ्ट के कर्मचारियों को नींद की बीमारी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा अधिक होता है, जो हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह के लिए एक व्यक्ति के जोखिम को बढ़ाता है।
द जर्नल ऑफ द अमेरिकन ओस्टियोपैथिक एसोसिएशन में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अनियमित या अलग-अलग पाली में काम करने वाले लोगों के लिए जोखिम और भी अधिक बढ़ जाते हैं।

टौरो विश्वविद्यालय, अमरीका में भारतीय मूल की शोधकर्ता और अध्ययन की प्रमुख लेखिका कुलकर्णी ने कहा कि हमारे समाज की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की मजबूती रात की पाली में काम करने वालों पर निर्भर करती है, हमने रात की पाली में काम करने वाले लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं देखी हैं।
उन्होंने कहा कि शिफ्ट में काम करने वाले लोग यात्रा, आतिथ्य और ई-कॉमर्स उद्योगों के लिए केंद् हैं, साथ ही नर्स, चिकित्सक, पुलिस और अग्निशामकों की हमें 24 घंटे आवश्यकता होती है।

Shift Work Effects On health
शोधकर्ताओं ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार रात की शिफ्ट में काम करने वाली 9 प्रतिशत नर्सें मेटाबॉलिक सिंड्रोम का शिकार हुई, जबकि दिन की शिफ्ट में काम करने वाली केवल 1.8 प्रतिशत नर्सें ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्त थी। एक अन्य अध्ययन के अनुसार लम्बे समय तक शिफ्ट में काम करने से खतरा और भी बढ़ जाता है।
Shift Work Effects On Circadian Rhythm
शोधकर्ताओं के अनुसार नाइट शिफ्ट लोगों के सर्कैडियन रिदम को बाधित करती हैं, शरीर की आंतरिक घड़ी तंत्रिका और हार्मोनल सिग्नलिंग के लिए जिम्मेदार होती है। एक बार जब किसी व्यक्ति की सर्कैडियन रिदम उनके नींद / जागने के चक्र से अवरूद्ध हो जाती है, तो वे हार्मोन के स्तर में गड़बड़ी का अनुभव करेंगे, जिनमें कोर्टिसोल वृद्धि, घ्रेलिन, सेरोटोनिन की कमी और इंसुलिन शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि हार्मोनल परिवर्तन मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों को बढ़ावा देता है और कई पुरानी बीमारियों के फिर से उभरने का कारण बनता है।

कुलकर्णी ने सिफारिश की है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोग अपनी नींद को पूरी करने के लिए समय निश्चित करें।बार-बार बदलने वाली पारियां साेने के क्रम काे ज्यादा बाधित करती है। नियाेक्ताआें इस तरह की पारियाें काे खत्म कर सकते हैं।
कुलकर्णी ने कहा की प्रकाश का संपर्क सामान्य रूप से जागने को बढ़ावा देता है, इसलिए नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को शिफ्ट से पहले और बाद में प्रकाश संपर्क को बढ़ाना चाहिए। उन्हें बिस्तर पर जाने से कम से कम 5 घंटे पहले, हर दिन एक समान समय पर व्यायाम करना चाहिए। शिफ्ट वर्करस काे एरोबिक व्यायाम को अपनी शारीरिक गतिविधि में शामिल करना चाहिए, क्योंकि यह विशेष रूप से नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।
शाेध में कहा गया है कि पिछले अध्ययनों से पता चला है कि शिफ्ट में काम करने वाले लोग चीनी और संतृप्त वसा का अधिक और प्रोटीन और सब्जियों का कम सेवन करते हैं। उनमें भोजन छोड़ने की संभावना भी अधिक होती है।
Effects Of Shift Work On Physical And Mental Health
कुलकर्णी ने कहा, “यह सच है कि पर्याप्त नींद लेना, सही भोजन करना और व्यायाम करना सभी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।हालांकि, शिफ्ट के काम की प्रकृति इन सिद्धांतों के साथ भयावह और अप्रिय है, हमें वास्तव में इस तरह की नौकरियां करने वाले लोगों को मदद करने की जरूरत है।
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