शरीर में सोडियम की कमी या दिमाग के विशेष भाग में सिकुडऩ आने से बुढ़ापे में मानसिक समस्याएं होने लगती हैं । अधिक तनाव के कारण भी मानसिक स्वस्थ्य प्रभावित होता है विटामिन की कमी, इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस की वजह से भी परेशानी तेजी से बढऩे लगती है।
बढऩी उम्र के साथ ही कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। बुजुर्गों में बार-बार भूलने की समस्या जैसे खाना खाया या नहीं, घर का रास्ता भूलना, पैसे किसे दिए, अपना नाम व पता भूल जाना आदि समस्या को मेडिकली डिलेरियम भी कहते हैं। ऐसे में रोगी विपरित स्थिति व सामान्य रूप से पूरी तरह अलग रहता है।
बढ़ती उम्र में होने वाली दिमाग संबंधी समस्याओं के इलाज में कॉग्नेटिव, बिहेवरल व साइको थैरेपी के साथ दवाओं से ईलाज किया जाता है। इनसे रोगी के दिमाग में बैठ चुकी नकारात्मक बातों को निकालने के साथ उसका जीवन सामान्य करते हैं। रोगी की काउंसलिंग करके समस्या का हल निकालते हैं। इस तरह की समस्या से जूझ रहे रोगी का समय रहते इलाज किया जाना चाहिए ।
मानसिक रोगों से बचाव –
40-50 वर्ष की उम्र से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
बीपी, शुगर आदि को नियंत्रित रखें।
रिटायर होने के बाद भी खुद को सामाजिक रूप से जोड़े रखें।
दिमाग एक्टिव रखें। मार्केट जाना, खेलकूद, वॉक शामिल करें।
किसी काम, खेल आदि में व्यस्त रहें।
फ्रैंड सर्किल बनाएं ।
परिवार के साथ बात करें, मिलनसार बनें ।
अगर फिर भी समस्या लगे तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
रोज फिजिकल एक्टिविटी करें।
खानपान पर ध्यान दें ।