हाई बीपी बढ़ाता ब्रेन स्ट्रोक व किडनी फेल होने का खतरा

वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक ज्यादातर हृदय रोगों के लिए हाई ब्लड प्रेशर (हायरपरटेंशन) जिम्मेदार है।

<p>हाई बीपी बढ़ाता ब्रेन स्ट्रोक व किडनी फेल होने का खतरा</p>

वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक ज्यादातर हृदय रोगों के लिए हाई ब्लड प्रेशर (हायरपरटेंशन) जिम्मेदार है। काम का बढ़ता तनाव और खराब जीवनशैली इसका बड़ा कारण है। हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) हार्ट अटैक के अलावा किडनी और आंख से जुड़ी दिक्कतों की वजह बनता है। हाई बीपी से बे्रन स्ट्रोक का खतरा भी 50 फीसदी तक बढ़ जाता है क्योंकि ऐसे में धमनियों पर दबाव पड़ता है और वे सिकुड़ जाती हैं इससे हृदय को ब्लड पंप करने में काफी परेशानी होती है।

हाई बीपी आंखों व किडनी को भी करता प्रभावित
बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर कई तरह से शरीर के अंगों पर असर करता है।समस्या की एक वजह तला-भुना खाना भी
बढ़ता वजन, व्यायाम से दूरी, धूम्रपान और अधिक तला-भुना खाना हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण हैं।

इसके अलावा पेरेंट्स या परिवार में बीपी के मरीज होने पर फैमिली के सदस्यों में हाई ब्लड प्रेशर होने की २०-२५ प्रतिशत आशंका रहती है।

इमरजेंसी यानी सांस फूलना व सीने में दर्द
तेज सिरदर्द, घबराहट महसूस होना, सांस फूलना, चक्कर आना, सीने में दर्द महसूस होना जैसे लक्षण
दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

कितना हो ब्लड प्रेशर
सामान्य ब्लड प्रेशर का स्तर १२०/८० एमएमएचजी होना चाहिए। १४०/९० या इससे अधिक ब्लड प्रेशर को हाई की श्रेणी में रखा जाता है।

कब कराएं टैस्ट
सामान्य लोगों को ३०-३२ साल की उम्र से बीपी चेक कराना चाहिए। फैमिली हिस्ट्री के साथ में शराब पीने व धूम्रपान की आदत है तो २५ साल की उम्र से जांच जरूर कराएं। कुछ मामलों में बच्चों में बीपी की समस्या हो सकती है। घर में इसे जांचने के लिए डिजिटल बीपी मशीन का प्रयोग कर सकते हैं। मशीन डॉक्टर को जरूर दिखाएं ताकि इसमें जरूरी सेटिंग की जा सके।

सावधानी : दिल खुश तो सब खुश
एक्सरसाइज : रोजाना कम से कम ३० मिनट की कार्डियो एक्सरसाइज करें जैसे ब्रिस्क वॉक, जॉङ्क्षगग, साइक्लिंग, स्वीमिंग व डांस। वॉक में १ मिनट में ४५-५० कदम, ब्रिस्क वॉक में ७५-८० कदम, और जॉगिंग में १५०-१६० कदम चलते हैं। घुटने में दर्द के मरीज कम से कम १-२ किलोमीटर जरूर पैदल चलें।
ये ध्यान रखें : इस दौरान यदि सांस फूले तो तुरंत रुकें और आराम करें। साथ ही डॉक्टर से सलाह लें।

खुश रहें खुश रहने से दिल के रोगों का खतरा कम होता है। इसलिए तनाव कम करने के लिए पेंटिंग, फोटोग्राफी, गाना सुनना, किताब पढऩा, बच्चों संग खेलना, घूमने जाने जैसी गतिविधियां कर सकते हैं।
खानपान : फाइबर युक्त चीजें (गेहूं, दलिया, ओट्स, ब्राउन राइस, स्प्राउट्स, ज्वार, बाजरा), आयरन (हरी सब्जियां, बींस, ओट्स, अलसी के बीज, शलजम) व ओमेगा-३ (सरसों तेल, बादाम, अखरोट, अलसी के बीज) से भरपूर आहार लें। दिनभर में १० से १२ गिलास पानी जरूर पिएंं।
इनसे करें परहेज : फास्ट फूड, तली-भुनी चीजें, कोल्ड ड्रिंक्स, मीठी चीजें, सैचुरेटेड फैट (देसी घी, वनस्पति, मक्खन आदि), पैक्ड फूड (अचार, चिप्स आदि), रेड मीट, नमक आदि।
हार्ट अटैक : हाई बीपी के कारण लगातार धमनियों के क्षतिग्रस्त होने से हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। दबाव अधिक होने पर ऐसी स्थिति बनती है।
रोशनी घटना : उच्च रक्तका दबाव रेटिना से जुड़ी धमनियों को क्षतिग्रस्त करता है। इनमें रक्तसंचार बाधित होने के कारण आंखों की रोशनी घटने लगती है। इसे हायपरटेंसिव रेटिनोपैथी कहते हैं।
बे्रन स्ट्रोक : यह रक्तनलिकाओं को कमजोर करता है। जिससे ये धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। या इनमें किसी तरह का ब्लॉकेज होने पर बे्रन स्ट्रोक की स्थिति बनती है। कई बार ऐसी स्थिति के लंबे समय तक बने रहने और दबाव बढऩे से ये नसें फट जाती हैं जिसे बे्रन हैमरेज कहते हैं।
किडनी फेल होना : ब्लड वेसल्स के क्षतिग्रस्त होने से किडनी का फिल्टर (ग्लोमेरुलस) कमजोर होने के कारण रक्त साफ नहीं हो पाता। इस कारण शरीर से विषैले तत्त्व बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में किडनी फेल्योर की स्थिति बनती है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.