हृदय संबंधी रोग भी बनाते एऑर्टिक डिस्सेक्शन की स्थिति

एऑर्टिक डिस्सेक्शन हृदय से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें 50 प्रतिशत मरीजों की समय पर इलाज न मिलने पर अगले 24-48 घंटों में मौत हो जाती है।

<p>हृदय संबंधी रोग भी बनाते एऑर्टिक डिस्सेक्शन की स्थिति</p>

एऑर्टिक डिस्सेक्शन हृदय से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें 50 प्रतिशत मरीजों की समय पर इलाज न मिलने पर अगले 24-48 घंटों में मौत हो जाती है। किसी सडक़ दुर्घटना में सीने पर आए दबाव या हृदय से जुड़े रोगों के कारण इसके मामले भी काफी देखे जाते हैं जिसके लिए सर्जिकल इमरजेंसी बेहद जरूरी है।

रोग के कारण
शरीर की सबसे बड़ी धमनी ‘एऑर्टा’ ऑक्सीजनयुक्त रक्त को सर्कुलेटरी सिस्टम तक पहुंचाने का काम करती है। एऑर्टा डिस्सेक्शन की समस्या में इस धमनी की आंतरिक दीवार क्षतिग्रस्त हो जाती है। ऐसे में रक्त का प्रवाह धमनी के बाहर होने लगता है। यह दो तरह से प्रभावित होती है। टाइप-ए (धमनी के ऊपरी हिस्से का क्षतिग्रस्त होना) और टाइप-बी (धमनी के निचले हिस्से का चोटिल होना)।

जटिलताएं
इस रोग की वजह से अंदरुनी रक्तस्त्राव से व्यक्तिकी मौत हो सकती है। साथ ही आंतों की कार्यप्रणाली बिगडऩे, किडनी फेल होने, स्ट्रोक व अन्य अंगों के प्रभावित होने की आशंका रहती है।

क्या हो सकते हैं लक्षण
कुछ मामलों में रोग के लक्षण हार्ट अटैक जैसे होते हैं। मरीज को सीने में कुछ फटने या टूटने जैसा महसूस होने के साथ तेज दर्द होता है। कमजोरी, पसीना आने, सांस लेने व बोलने में तकलीफ, बेहोशी, दिखने में कमी, शरीर के एक भाग में सुन्नपन जैसी दिक्कतें होती हैं।

क्या है मुख्य वजह
क्रॉनिक हाई बीपी मुख्य वजह है जिससे एऑर्टिक सेल्स पर दबाव पडऩे से इस धमनी को नुकसान होता है। ऐसे बच्चे जो बड़े आकार की कमजोर एऑर्टा धमनी के साथ पैदा होते हैं व बायकस्पिड एऑर्टिक डिस्सेक्शन से पीडि़त हों उनमें आगे चलकर यह धमनी फट सकती है।

जांच और इलाज
मरीज को चेस्ट एक्स-रे, ईकोकार्डियोग्राफी और सीटी स्कैन एऑर्टोग्राम जैसी जांचें करवाने की सलाह दी जाती हैं।
टाइप-ए का उपचार केवल सर्जरी है। टाइप-बी में मरीज की स्थिति और रोग की गंभीरता के आधार पर तय करते हैं कि सर्जरी होगी या एऑर्टा धमनी में स्टेंट डालना पड़ेगा।

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