हाफ नी रिप्लेसमेंट से घुटना होगा नया जैसा

हमारे शरीर का सबसे ज्यादा भार घुटनों के जोड़ों पर पड़ता है। इसीलिए घुटनों के जोड़ हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण जोड़ों में से एक है।

<p>हाफ नी रिप्लेसमेंट से घुटना होगा नया जैसा</p>

हमारे शरीर का सबसे ज्यादा भार घुटनों के जोड़ों पर पड़ता है। इसीलिए घुटनों के जोड़ हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण जोड़ों में से एक है। जब इनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है और चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं तो हड्डी रोग डॉक्टर घुटने के जोड़ का रिप्लेसमेंट सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जिसमें पूरा जोड़ बदला जाता है। लेकिन अब घुटने के जोड़ों का खराब हुई आंशिक हिस्सा भी बदला जा सकता है, जिसे हाफ नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है।

सिर्फ खराब हिस्सा बदलने की जरूरत
सीनियर ज्वांइट रिपलेसमेंट सर्जन डॉ. एसएस सोनी बताते हैं किए हॉफ नी रिपलेसमेंट सर्जरी बेहद कारगर है। खासतौर पर युवाओं में जब जोड़ों में खराबी आती है, तब जरूरत के हिसाब से खराब भाग को बदल दिया जाता है। डॉ.सोनी ने बताया कि घुटने के जोड़ जांघ की हड्डी, टांग की निचली हिस्से की बड़ी हड्डी और घुटने को जोड़ को ढकने वाली हड्डी, तीन हड्डियों से मिलकर बना होता है।

इन तीनों हड्डियों के अंतिम छोर गद्दियों से ढकी होती है। ये गद्दियां चलने-फिरने व अन्य शारीरिक गतिविधियों के दौरान जोड़ की हड्डियों के आपसी घर्षण होने से रोकती है और किसी भी प्रकार का धक्का या आघात लगने से बचाती है। जब ये गद्दियां घिस जाती हैं और हड्डियों का आपस में घर्षण होने लगता है तो इससे असहनीय दर्द होता है और मरीज चलने-फिरने की स्थिति में भी नहीं हो पाता।

हाफ. नी रिपलेसमेंट में रिकवरी फास्ट
हाफ. नी प्रत्यारोपण तकनीक से पूरे घुटने की ओपन सर्जरी करने की जगह सिर्फ जोड़ में खराब हुए हिस्से को बदला जा सकता है। चूंकि इसमें घुटनों का प्रभावित हिस्सा का जोड़ ही बदला जाता है, इसीलिए मरीज की रिकवरी भी फास्ट होती है और वह कुछ समय में ही चलने लायक हो जाता है। पूरा जोड़ नहीं बदलने से दर्द आदि की परेशानी भी ज्यादा नहीं रहती। नई कंप्यूटर नेवीगेशन तकनीक भी अब इस सर्जरी में काम ली जा रही है।

इस तरह की सर्जरी में कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर सर्जन के लिए जीपीएस का काम करती है। सर्जरी के वक्त घुटना बदलने के लिए जिस धातु का उपयोग किया जाता है वह सही जगह पर लगा है या नहीं, इसका ध्यान रखा जाता है। नेविगेशन की तकनीक से सर्जरी के सफल होने की प्रतिशतता अधिक होती है।

हाफ नी रिप्लेसमेंट के फायदे
मरीज जल्दी काम पर लौट सकता, सर्जरी मे कम रक्त स्त्राव, घुटने के काम करने की स्थिति में सुधार, घुटने के जोड़ बदलने के लिए पूरा घुटना खराब होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बिना बड़े चीरे के सर्जरी और सफलता का प्रतिशत अधिक।

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