इन बातों पर ध्यान देकर कर सकते हैं डिप्रेशन की पहचान

देश में हर साल 10 लाख लोग सुसाइड करते हैं। हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति सुसाइड करता है,

<p>देश में हर साल 10 लाख लोग सुसाइड करते हैं। हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति सुसाइड करता है,</p>

अति महत्तवकांक्षा, उम्मीद से ज्यादा की चाहत, असफलता व अन्य काऱणों के चलते लगातार सुसाइड के मामले बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार देश में हर साल 10 लाख लोग सुसाइड करते हैं। हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति सुसाइड करता है। डिप्रेशन किसी भी उम्र में हो सकता है हालांकि वृद्ध व बच्चों में डिप्रेशन की संभावना कम होती है।

रोज आप कैसा महसूस करते हैं। इस पर दो हफ्ते नजर रखें। यदि आप खुद को डिप्रेशन के मूड में महसूस कर रहे हैं, जैसे कि गहरी उदासी और जिन चीजों में आपकी पहले दिलचस्पी थी, उनमें रुचि खो बैठे हैं तो शायद आप डिप्रेशन के शिकार हैं। यह लक्षण दिन में ज्यादातर वक्त हावी रहता है और कम से कम दो हफ्ते तक आप इसे रोज महसूस करेंगे। ये लक्षण दो हफ्ते तक रहेंगे। इसके बाद कई लक्षण ऐसे हैं जो कुछ समय तक नहीं दिखते हैं। इसे रेकरेंट एपिसोड कहते हैं। डिप्रेशन में मूड में बदलाव, किसी के सामाजिक व्यवहार, कार्यालय के सामान्य बर्ताव को बदल देता है। मरीज स्कूल जाना या काम पर जाना भी बंद कर सकता है।

 

तीन प्रमुख वजहों से डिप्रेशन :
डिप्रेशन के कई कारण होते हैं, लेकिन इनमें तीन कारण प्रमुख होते हैं। पहला आनुवांशिक होता है। यदि किसी के माता-पिता डिप्रेशन के मरीज रहे हैं या परिवार में या किसी रिश्तेदार ने डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर ली हो तो डिप्रेशन में आने की आशंका ज्यादा होती है।

 

दूसरा कारण व्यक्तित्व हो सकता है। ऐसे में किसी व्यक्ति को छोटी सी बात भी चुभती है।

 

तीसरा कारण वातावरण है। यदि किसी को नजरअंदाज करते हैं। मानसिक प्रताड़ित करते हैं तो डिप्रेशन में आ सकता है।

दोस्त की तरह पेश आएं: यदि बच्चे में डिप्रेशन आ रहा है तो दोस्त की तरह उसकी बातें सुनें उसे डांटे नहीं। डिप्रेशन का मरीज अक्सर किसी और से हैल्प मांगता है। नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। अच्छा भोजन व 7 से 9 घंटे तक की नींद लेनी चाहिए।

जानिए…अवसाद, उदासी में फर्क –
उदासी भावनात्मक स्थिति है जो तनाव, जिन्दगी की बड़ी घटनाएं (पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों) और यहां तक कि मौसम के असर से भी पैदा होती है। उदासी और डिप्रेशन में फर्क इसके लक्षणों की तीव्रता और इसके बार-बार लौट आने से किया जा सकता है। यदि ये लक्षण दो हफ्ते तक रहते हैं तो डिप्रेशन हो सकता है।

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