लोगों की इस प्रतिक्रिया से पता चलता है कि संक्रमण के खतरे का डर उनमें कितना ज्यादा है। इस सर्वेक्षण को चार महीने की अवधि में पूरा किया। मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाए जाने के कुछ दिनों पहले अपने संक्रमित होने को लेकर कई लोगों ने चिंतित नजर आए थे और 31 मार्च के बाद से एक प्रवृत्ति सामने आई जिसके तहत लोगों को लगा कि उनके खुद के या परिवार के किसी सदस्य के वास्तव में महामारी से संक्रमित होने की आशंका है।
कोरोनावायरस की चपेट में आने की यह प्रवृत्ति लोगों में 31 मार्च से लेकर 30 मई तक और भी ज्यादा देखी गई। जून में देश में कोरोनावायरस के मामलों में प्रतिदिन के हिसाब से जब ज्यादा उछाल देखा गया तो लोगों में संक्रमण का खतरा और भी बढ़ गया। सर्वेक्षण से पता चलता है कि जुलाई में कई लोग इस बात से चिंतित नजर आए कि उनके परिवार के किसी न किसी सदस्य में इससे संक्रमित होने की आशंका है।