रोग और उपचार

फेफड़ों में जमा कफ को बाहर निकाल देंगी ये 5 जड़ी बूटियां, सूजन-सांस फूलने की समस्या होगी दूर

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Published: March 08, 2024 12:47:10 pm
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Lungs-asthma treatment : फेफड़ों की बीमारियों और अस्थमा (Asthma) में सांस लेने में कई बार तकलीफ होती है। बार-बार कफ या बलगम का निकलना, श्वास नली में सूजन, सांस लेने में मुश्किल, और खांसी के लक्षण समस्याओं में शामिल होते हैं। आयुर्वेद अस्थमा (Asthma) को उपचार करने के लिए विभिन्न हर्ब्स का प्रयोग करता है। यहां हम जानेंगे कौन से आयुर्वेदिक उपचार हमें इन समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं।

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हर्बल टी Herbal tea


लंग्स में बलगम या कफ जमा हो या अस्थमा की समस्या हो तो हर्बल टी बहुत काम आएगी। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनी हर्बल टी पीने से उनकी गर्माहट से कफ या बलगम पतली हो जाती हैं और बाहर निकलने लगती है। अजवायन, तुलसी, काली मिर्च और अदरक के मिश्रण से बनी हर्बल चाय अस्थमा के रोगियों के लिए बेहतर उपाय है क्योंकि यह कफ को खत्म करती है।

 

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शहद और प्याज Honey and onion


एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच शहद और थोड़ा प्याज का रस और थोड़ी सी काली मिर्च मिलकार पीएं। ये लंग्स (Lungs) को साफ करेगी और कफ और बलगम को आसानी से पिघला देगी। इससे कंजेशन दूर होगा और सांस लेना आसान होगा।

 

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सरसों तेल की मसाज Mustard oil massage


सरसों के तेल में लहसुन और अजवाइन मिलाकर पका लें और इसी तेल से सीने पर मालिश करें। कफ पिघलने लगेगी। मालिश करने से फेफड़ों को गर्माहट मिलती है जिससे छाती में जमा कफ दूर होता है और सांस लेना आसान बनता है।

 

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शहद और लौंग Honey and cloves


फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए लौंग और शहद का मिश्रण एक परफेक्ट रेमेडी है। आप अस्थमा (Asthma) के लक्षणों से राहत पाने के लिए एक गिलास गर्म पानी और शहद के साथ लौंग चबा सकते हैं। यह क्रोनिक ब्रोन्कियटिस, लंग इंफेक्शन, बलगम और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए बहुत मददगार है।

 

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हल्दी की चाय Turmeric tea


करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला सबसे शक्तिशाली तत्व है और इसकी वजह से हल्दी का रंग पीला होता है। हल्दी में कुछ औषधीय और एंटीऑक्सीडेंट घटक शामिल हैं, जिनमें से सूजन को रोकने की इसकी क्षमता है। इसके लिए आप हल्दी का पानी या चाय पी सकते हैं।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

 

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