देसी खानपान : आंतों में जाकर अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाता है फर्मेंटेड फूड

स्वाद में थोड़ा खट्टा होने से फर्मेंटेड फूड (fermented food) भूख बढ़ाकर आंतों को मजबूत बनाता है। फर्मेंटेशन को आयुर्वेद में किणवनीकरण भी कहते हैं। खट्टा बनाने के लिए यीस्ट (खमीर), विनेगर (सिरका) व दही का प्रयोग कर खाद्य पदार्थ को कुछ समय के लिए ढककर रखते हैं जिससे खाद्य पदार्थ जल्दी फूलता है व पकाने पर उसमें खट्टापन रहता है।

<p>natural fermentation</p>

स्वाद में थोड़ा खट्टा होने से फर्मेंटेड फूड (fermented food) भूख बढ़ाकर आंतों को मजबूत बनाता है। फर्मेंटेशन को आयुर्वेद में किणवनीकरण भी कहते हैं। खट्टा बनाने के लिए यीस्ट (खमीर), विनेगर (सिरका) व दही का प्रयोग कर खाद्य पदार्थ को कुछ समय के लिए ढककर रखते हैं जिससे खाद्य पदार्थ जल्दी फूलता है व पकाने पर उसमें खट्टापन रहता है। यह प्राकृतिक स्वाद होगा। इसका फायदा आंतों को होता है जिससे यहां मौजूद अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती हैए पाचनतंत्र सही रहता है व शरीर को पोषक तत्त्व समान मात्रा में मिलते हैं। जानें इस बारे में….

प्राकृतिक फर्मेंटेशन है ज्यादा बेहतर
प्राकृतिक फर्मेंटेशन (natural fermentation) से तैयार खाने में किसी तरह के हानिकारक तत्त्व नहीं होते हैं। खाने में खमीर उठने की वजह से उसमें खट्टापन आ जाता है। इससे उसमें जो भी हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं वे अपने आप खत्म हो जाते हैं। व्यक्ति जब उसे खाता है तो आंतों और पांचन तंत्रिकाओं को उसे पचाने के लिए अधिक काम नहीं करना पड़ता है। सभी तरह के पोषक तत्त्व कम समय में शरीर की कोशिकाओं की मदद से रक्त में पहुंचकर शरीर को ऊर्जा देने का काम करते हैं।

1 ही बार में डाल दें सामग्रियां (यदि किसी खाद्य पदार्थ में खमीर ला रहे हैं तो) वर्ना स्वाद खराब हो सकता है।

3 चीजों : खमीर, सिरका और दही, के प्रयोग से खाद्य सामग्री में खट्टापन लाया जाता है।

धमनियों की सद्बक्ताई
फर्मेंटेड फूड में अमलत्त्व (खट्टापन) पाया जाता है जिसे आयुर्वेद में अम्ल रस भी कहा जाता है। यह रस हृदय के लिए फायदेमंद होता है। मन में इसका खयाल आने भर से ही मुंह में पानी आ जाता है। व्यक्ति को जब फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ खाने को मिलता है तो व्यक्ति भूख से अधिक खाने की क्षमता रखता है। खाने में खटाई जैसे सूखे आम के चूर्ण यानी आमचूर का इस्तेमाल होता है तो वो धमनियों को साफ करने काम करता है और शरीर में रक्तसंचार का संतुलन बेहतर रहता है।

बार-बार न छुएं : बर्तन का आकार सामग्री के हिसाब से बड़ा होना चाहिए ताकि जब वह फूले तो बाहर न गिरे। किसी भी खाद्य पदार्थ में खमीर लाने की प्रक्रिया के दौरान उसे बार-बार नहीं छूना चाहिए साथ ही उसमें अन्य सामग्री बाद में डालने के बजाय एक ही बार में डाल दें। वर्ना उसमें खमीर उठने की प्रक्रिया बेहद धीमी हो जाती है जिसका सीधा असर उसके स्वाद पर पड़ता है।

लिवर होता मजबूत : प्राकृतिक रूप से तैयार फर्मेंटेड (खमीर युक्त) खाद्य पदार्थ पेट को मजबूत बनाने का काम करता है। पेट के अंदर व आसपास जमे हानिकारक तत्त्वों को बाहर निकालता है जिससे लिवर पूरी तरह रिलैक्स हो जाता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का संतुलन भी बनाए रखता है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है तो उसे बाहर निकालने का काम करता है।

सोडे-रसायन से तैयार खमीर से पेट की समस्याएं
आर्टिफिशियल फर्मेंटेशन का प्रयोग इन दिनों बढ़ गया है। इसके लिए सबसे अधिक सोडा व अन्य रसायनों का प्रयोग होता है। होटलों में आमतौर कम समय में खाना तैयार करने के लिए इसका प्रयोग होता है जो कि गैस्ट्रिक प्रॉब्लम का कारण बनता है। इन खाद्य पदार्थों से कई बार बदहजमी, उल्टी व दस्त की शिकायत भी होती है। ऐसे में मार्केट के बजाय घर पर बने भोजन को ही खाएं।

लार बढ़ाता है : जब फर्मेंटेड फूड मुंह में जाता है तो यह लार बढ़ाने का काम करता है। लार बढऩे से तरल रूप में कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च मुंह से होते हुए पेट में पहुंचाते हैं। इससे पेट में हाइड्रो क्लोरिक एसिड (एचसीएल) की मात्रा बढ़ती है और छोटी आंत में एंजाइम्स बनते हैं जिससे व्यक्ति की भूख बढ़ जाती है।

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