अधिकमास 2020 : इस पुरुषोत्तम माह में ये काम अवश्य करें, होगा मनचाहा काम

यज्ञ और अनुष्‍ठान पूर्णत: फलित होते हैं…

<p>Purushottam maas 2020 : Do these work compulsory in this time</p>
आश्विन मास यानि चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है।
ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। यही वजह है कि श्रद्धालु जन अपनी पूरी श्रद्धा और शक्ति के साथ इस मास में भगवान को प्रसन्न कर अपना यह लोक और परलोक सुधारने में जुट जाते हैं।

एक कथा के अनुसार जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था तब अधिकमास उदास और दुखी था। क्योंकि उसे दुख था कि लोग उसे अपवित्र मानेंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु ने कहा कि ‘अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास होगा जो मेरा ही एक नाम है। इस महीने का स्वामी मैं रहूंगा।’ उस समय भगवान ने यह कहा था कि इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद नहीं होंगे। लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस महीने में किए जाना बहुत ही शुभ फलदायी होगा और उन कार्यों का संबंध मुझसे होगा।

यज्ञ और अनुष्ठान : मनोकामनाएं पूर्ण
अगर आप काफी समय से अपनी किसी मनोकामना को लेकर यज्ञ या अनुष्‍ठान करवाने के बारे में सोच रहे हैं, तो अधिकमास का समय इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्‍ठ है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, अधिकमास में करवाए जाने वाले यज्ञ और अनुष्‍ठान पूर्णत: फलित होते हैं और भगवान अपने भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सत्‍यनारायण भगवान की पूजा
अधिकमास में श्रीहरि यानी भगवान विष्‍णु की पूजा करना सबसे श्रेष्‍ठ माना जाता है। इसलिए अधिकमास में वैसे तो सभी प्रकार के शुभ कार्यों की मनाही होती है, लेकिन भगवान सत्‍यनारायण की पूजा करना सबसे शुभफलदायी माना जाता है। अधिकमास में विष्‍णुजी की पूजा करने से माता लक्ष्‍मी भी प्रसन्‍न होती हैं और आपके घर में धन वैभव के साथ सुख और समृद्धि आती है।

दान पुण्‍य के कार्य
अधिकमास में दान पुण्‍य के कार्य आपके लिए बैकुंठधाम का मार्ग प्रशस्‍त करते हैं। अधिकमास के दिनों में आपको विशेष रूप से गुरुवार के दिन पीली वस्‍तुओं का दान करना चाहिए। ऐसा करने से प्रभु श्रीहरि की कृपा आपको प्राप्‍त होती है और आपका गुरु भी बलवान होता है। गुरु के बलवान होने का अर्थ है कि आपको करियर में सफलता प्राप्‍त होगी।

महामृत्युंजय मंत्र का जप
अधिकमास में ग्रह दोष की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना सबसे श्रेष्‍ठ माना जाता है। बेहतर होगा कि आप किसी पुरोहित से संकल्‍प करवाकर महामृत्‍युंजय मंत्र का जप करवाएं। यदि कोरोनाकाल में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो आप खुद से ही अपने घर में महामृत्युंजय मंत्र का जप करवाएं। ऐसा करने से आपके घर से सभी प्रकार के दोष समाप्‍त होंगे और आपके घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ेगा।
ब्रजभूमि की यात्रा
पुराणों में बताया गया है क‍ि अधिकमास में भगवान विष्‍णु और उनके सभी अवतारों की पूजा करना सबसे उत्‍तम माना जाता है। अधिकमास के इन 30 दिनों में अक्‍सर लोग ब्रज क्षेत्र की यात्रा पर चले जाते हैं। हालांकि इस वक्‍त कोरोनाकाल में ब्रजभूमि की यात्रा करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने घर में भगवान राम और कृष्‍ण की पूजा करें। इससे उत्‍तम फल की प्राप्ति होगी।
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