दिन में केवल इन 2 समय ही पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना चाहिए और इस समय तो भूलकर भी न करें

Pind Daan Tarpan Timing in Pitru Paksha : कहा जाता है कि पितृ पक्ष में इन 2 समय पर ही श्राद्ध कर्म करने चाहिए। जानें दिन में श्राद्ध करने के लिए कौन से दो समय निर्धारित है।

<p>दिन में केवल इन 2 समय ही पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना चाहिए और इस समय तो भूलकर भी न करें</p>

पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने के लिए शास्त्रों के अनुसार दिन में केवल ये 2 समय ही महत्वपूर्ण बताएं गए है। पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का भाव ही श्राद्ध है। वैसे तो हर अमावस्या और पूर्णिमा को, पितरों के लिये श्राद्ध तर्पण आदि कर्म किए जा सकते हैं। अगर आपके श्राद्ध कर्म से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं तो जीवन में किसी चीज़ की कमी नहीं रहती। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में इन 2 समय पर ही श्राद्ध कर्म करने चाहिए। जानें दिन में श्राद्ध करने के लिए कौन से दो समय निर्धारित है।

 

श्री रामचरित्र मानस हर दिन पढ़ते हैं, लेकिन रामायण के इस अद्भूत रहस्य को क्या आज तक आप जानते हैं?

श्राद्ध के लिये दिन में ये हैं सबसे श्रेष्ठ समय एवं श्राद्ध के लिये दोपहर का कुतुप और रौहिण मुहूर्त श्रेष्ठ है। कुतप काल में किये गये दान का अक्षय फल मिलता है।
1- कुतुप मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक।
2- रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से दिन में 1 बजकर 15 मिनट तक।

कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों में, कम से कम जल से तर्पण ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि चंद्रलोक के ऊपर और सूर्यलोक के पास पितृलोक है और पितृ लोक में पानी की कमी होती है। इसलिए जब जल से तर्पण किया जाता तो उससे दिवंगत पितरों को तृप्ति मिलती है।

 

पितृ पक्ष में केवल ऐसे भोजन को ही खाते हैं पितृगण

इनको करना चाहिए श्राद्ध कर्म

पिता का श्राद्ध पुत्र को करना चाहिए और एक से ज्य़ादा पुत्र होने पर बड़े पुत्र को ही श्राद्ध करना चाहिये। पुत्र के न होने पर, पत्नी को श्राद्ध करना चाहिये। पत्नी के न होने पर सगा भाई भी श्राद्ध कर्म कर सकता है।

इस समय भूलकर भी श्राद्ध कर्म न करें

– कभी भी रात में श्राद्ध न करें, क्योंकि रात्रि राक्षसी का समय है।
– दोनों संध्याओं के समय भी श्राद्धकर्म नहीं किया जाता।

**********

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.