धनु संक्रांति 2020 : जानें इस बार क्या है खास, जानें राशियों पर असर व पूजा विधि

15 दिसंबर मंगलवार को,सूर्य अपनी राशि बदलकर आ रहे हैं धनु राशि में…

<p>Dhanu Sankranti 2020: 15 December 2020 on Tuesday with good and bad effects</p>

सूर्य का राशि परिवर्तन सनातन हिंदू धर्म में अतिविशेष माना जाता है, इसी के चलते हर माह सूर्य के परिवर्तन को राशि के अनुसार संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं ये भी मान्यता है कि सूर्य के इस परिवर्तन से सभी राशियों के जातक काफी अधिक प्रभावित भी होते हैं, जिसका असर सीधे तौर पर उनके जीवन पर पड़ता है।

हर वर्ष की तरह इस बार भी सूर्य अपनी राशि बदलकर धनु राशि में आ रहे हैं, इसे धनु संक्रांति कहते है, जो 15 दिसंबर 2020 को है। भारतीय पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में संक्रांति करते हैं तो यह समय शुभ नहीं माना जाता है।

धनु संक्रांति के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, फल, सुपारी, पंचामृत, तुलसी, मेवा आदि का भोग तैयार किया जाता है। सत्यनारायण की कथा के बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती की जाती है और चरणामृत का प्रसाद दिया जाता है। मान्यता के अनुसार जो लोग विधि के साथ पूजन करते हैं उनके सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

 

सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। संक्रांति एक सौर घटना है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूरे वर्ष में प्रायः कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं और प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि एवं समय को बहुत महत्व दिया गया है।

सूर्य हर महीने अपना स्थान बदल कर एक राशि से दूसरे राशि में चला जाता है। सूर्य के हर महीने राशि परिवर्तन करने की प्रक्रिया को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में संक्रांति का समय बहुत पुण्यकारी माना गया है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का काफ़ी महत्व है। इस वैदिक उत्सव को भारत के कई इलाकों में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

भारत के कुछ राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में संक्रांति के दिन को साल के आरम्भ के तौर पर माना जाता है। जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ जगहों पर संक्रांति के दिन को साल की समाप्ति की तरह माना जाता है।

इस संक्रांति को हेमंत ऋतु शुरू होने पर मनाया जाता है। दक्षिणी भूटान और नेपाल में इस दिन जंगली आलू जिसे तारुल के नाम से जाना जाता है, उसे खाने का रिवाज है। जिस दिन से ऋतु की शुरुआत होती है उसकी पहली तारीख को लोग इस संक्रांति को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं।

धनु संक्रांति में ये करें:
धनु संक्रांति के दिन घरों में सत्यनारायण भगवान की पूजा आदि की जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। धनु संक्रांति केदिन सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए। कहते हैं सूर्य की अराधना आपके भविष्य को भी चमकाती है। धनु संक्रांति के दिन ओड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ को मीठाभात अर्पित किया जाता है।

राशियों पर असर:
कर्क राशि, सिंह राशि, तुला वालों , कुंभ राशि वालों और मीन राशि वालों के यह राशि परिवर्तन बहुत शुभ है। इस राशि परिवर्तन से कई राशियों को सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। वहीं इनके अतिरिक्त बची राशियों के लिए या तो यह समय मिलाजुला रहेगा या कठिनाइयों भरा।

धनु संक्रांति 2020: ऐसे समझें
सूर्यदेव संचरण करते हुए वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का धनु राशि में प्रवेश ही धनु संक्रांति कहलाता है। इसी के साथ खरमास का आरम्भ हो जाएगा। खरमास में विवाहादि मांगलिक एवं शुभ कर्मों को वर्जित किया गया है। जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते हैं, उस समय को खरमास कहा जाता है। पौष खरमास का मास है, जिसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्य, विवाह, यज्ञोपवित या फिर किसी भी तरह के संस्कार नहीं किए जाते हैं। तीर्थ स्थल की यात्रा करने के लिए खरमास सबसे उत्तम मास माना गया है।

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