बता दें कि मांडू में शनिवार से ही पर्यटकों की आमद शुरू हो गई। रविवार अवकाश के दिन बड़ी संख्या में पर्यटक मांडू पहुंचकर आनंद उठाते हैं। पर्यटन नगरी मांडू इन दिनों अपने शबाब पर है। बारिश के दिनों में मांडू के प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है । शनिवार ,रविवार छुट्टी के दिनों में पर्यटक मांडू निहारने पहुंच रहे हैं । शनिवार को भी महलों पर काफी पर्यटक पहुंचे। बारिश के दिनों में मांडू में बादल मानो जमीन पर उतर आए । मांडू की एक ऐतिहासिक इमारतें कोहरे में ढंक सी गई है । दिन में भी वाहनों को लाइट जलाना पड़ रही है । मांडू पहुंचे पर्यटकों ने इस यादगार पल को अपने कैमरे में कैद किया कई जगह पर्यटक सेल्फी लेते नजर आए।
600 साल पुराना रेन वाटर हार्वेस्टिंग
जहाज महल की जल संरचनाएं आज भी शोध का विषय हैं। 600 साल पहले भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग होता था। भुंज तालाब और कपूर तालाब का अंडर ग्राउंड कनेक्शन हैं। रहट विधि से पानी महल में बने स्विमिंग पूल में जाता था। प्राचीन काल में मांडू में लगभग 700 जल स्रोत थे। मुगल शासक जहांगीर ने 1617 में 42वां जन्मदिन यहीं मनाया था। वे पत्नी नूरजहां के सासथ जहाज महल में सात माह तक रहे थे।
मांडू में यहां जरूर जाएं
मांडू में पर्यटकों के लिए देखने लायक बहुत से स्थान हैं, जिनमें रानी रूपमती का महल, हिंडोला महल, जहाज महल, जामा मस्जिद, अशरफी महल आदि स्थान प्रमुख हैं। इसी के साथ ही मांडू को ‘मांडवगढ़ जैन तीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ भगवान सुपार्श्वनाथ की पद्मासन मुद्रा में विराजित श्वेत वर्णी सुंदर प्राचीन प्रतिमा है। इस प्रतिमा की स्थापना सन् 1472 में की गई थी। मांडवगढ़ में कई अन्य पुराने ऐतिहासिक महत्व के जैन मंदिर भी है, जिसके कारण यह जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थान है।