देहरादून

उत्तराखंड में विक्टिम लोकेशन कैमरों की कमी

विक्टिम लोकेशन कैमरा की देखरेख या फिर खरीद-फरोख्त की जिम्मेदारी किस विभाग की है। इसके लिए भी विभागों में सामंजस्य नहीं है

देहरादूनAug 30, 2018 / 05:16 pm

Shailesh pandey

file photo uttrakhand

(अमरश्रीकांत की रिपोर्ट)
देहरादून। प्रदेश में बारिश का सीजन चल रहा है। जिसकी वजह से भूस्खलन आम है। एेसी स्थिति में सबसे आवश्यक विक्टिम लोकेशन कैमरा होता है जिसकी मदद से इस बात की जानकारी मिलती है कि जमींदोज हुए भवन या मकान में दबे इंसान की स्थिति क्या है। विक्टिम लोकेशन कैमरा यह भी बताता है कि क्या जमीन के नीचे दबा इंसान जिन्दा बचा है या फिर उसकी मृत्यु हो गई है। जमीन के नीचे की हर तरह की हलचल की जानकारी इस कैमरे से मिलती है। माना जाता है कि यह कैमरे 60 फीट अंदर की जमीनी हलचल की भी बताता है। उसके बाद ही आपदा प्रबंधन की टीम उस स्थान को लोकेट करती है और इंसान को निकालने की कोशिश करती है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आपदा के लिए सबसे महत्वपूर्ण इस उपकरण की कमी प्रदेश में है। इतना ही नहीं विक्टिम लोकेशन कैमरा की देखरेख या फिर खरीद-फरोख्त की जिम्मेदारी किस विभाग की है। इसके लिए भी विभागों में सामंजस्य नहीं है। विभाग एक दूसरे पर पल्ला झाडऩे में जुटे हुए हैं।

 

आपदा राहत और बचाव में जरुरत


आपदा राहत और बचाव के समय विक्टिम लोकेशन कैमरे की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। प्रदेश में इन महत्वपूर्ण कैमरों की काफी कमी है लेकिन माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इस कमी को दूर करेगी। सबसे अचरज की बात यह है कि वर्तमान में जो कैमरे हैं भी वे सही नहीं हैं। जिससे आपदा राहत और बचाव के समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सूत्रों के मुताबिक टिहरी के तहसील बालगंगा के बूढ़ाकेदार के पास कोट गांव में भूस्खलन से मलवा स्थानीय एक मकान पर गिरा जिससे 10 लोग जमींदोज हो गए। रेस्क्यू टीम के पहुंचने के पहले ही स्थानीय लोगों की मदद से मलवे में दबे लोगों को निकाल लिया गया था। काफी देर बाद आपदा प्रबंधन की टीम घटनास्थल पर पहुंची। टीम के पास मौके पर विक्टिम लोकेशन कैमरे नहीं थे। हालांकि काफी देर बाद विक्टिम लोकेशन कैमरे लाए गए
लेकिन कैमरे काम नहीं कर रहे थे।

 

जरूरत पर मंगाए जाते हैं अन्य जनपदों से


सूत्रों ने बताया कि बागेश्वर,चमोली और पिथौरागढ़ सहित कई जनपदों में विक्टिम लोकेशन कैमरे नहीं हैं। जरूरत पडऩे पर अन्य जनपदों से मंगाए जाते हैं। इस बारे में आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डा.पीयूष रौतेला का कहना है कि विक्टिम लोकेशन कैमरे का सीधा संबंध आपदा प्रबंधन विभाग से नहीं है। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ विक्टिम लोकेशन कैमरा सहित कई महत्वपूर्ण अत्याधुनिक उपकरण अपने पास रखता है। डा.रौतेला के मुताबिक इस बारे में संबंधित विभाग से बात की जाएगी। ताकि कैमरों को ठीक किया जा सके और जहां आवश्यकता है वहां कैमरा उपलब्ध कराया जा सके। इस बारे में प्रमुख सचिव (गृह) आनंदवद्र्धन का कहना है कि आपदा राहत और बचाव के समय विक्टिम लोकेशन कैमरे की जरूरत पड़ती है। आपदा प्रबंधन ही पूरे मामले को देखता है। गृह विभाग से इसका कोई लेना देना नहीं है।

 

केंद्र के आदेश पर गौर नहीं किया


उल्लेखनीय है कि साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार को विक्टिम लोकेशन कैमरों की खरीद -फरोख्त करने के जरूरी निर्देश भी दिए थे। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने उस समय केंद्र के आदेश पर गौर नहीं किया। साल 2015 में कुछ कैमरे जरूर खरीदे गए जिसमें से अधिकतर पुराने माडल के हैं। जिनकी कोई उपयोगिता नहीं है। मूसलाधार बारिश में ये कैमरे सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि उत्तराखंड सरकार अब विक्टिम लोकेशन कैमरों को लेकर काफी गंभीर है। सरकारी प्रवक्ता और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि नए और उन्नत तकनीक के बने कैमरों की खरीदारी की जाएगी। साथ ही कैमरों के संचालन की जिम्मेदारी भी सरकार तय करेगी। ताकि जरूरत पडऩे पर कैमरे उपलब्ध हो सकें।

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