अधूरे रह गए खरीफ फसल के बुवाई के लक्ष्य
जिले में कमजोर मानसून से फसलों की बुवाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। जिन इलाकों में बारिश कम हुई, वहां खेत खाली रह गए। ऐसे में कोरोना लॉकडाउन के बाद खेती की ओर लोगों का रुझान बढऩे की संभावना धूमिल हो गई। जिले में ज्वार को छोड़कर अन्य किसी फसल की लक्ष्य के मुताबिक बुवाई बुवाई पूरी नहीं हो सकी।
जिले में कृषि विभाग ने 1 लाख 93 हजार हैक्टेयर में खरीफ फसल की बुवाई का लक्ष्य तय किया था। इसमें से 1 लाख 82 हजार 903 हैक्टेयर में ही बुवाई हुई है। पचवारा इलाके में इस बार मूंगफली व तिल की बुवाई भी पूरी नहीं हो सकी। हालांकि नांगल, लवाण व सिकराय आदि इलाके में बाजरा की बुवाई अच्छी हुई, लेकिन दौसा, लालसोट व रामगढ़ पचवारा तहसील क्षेत्र में बुवाई कम रह गई।
जिले में कमजोर मानसून से फसलों की बुवाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। जिन इलाकों में बारिश कम हुई, वहां खेत खाली रह गए। ऐसे में कोरोना लॉकडाउन के बाद खेती की ओर लोगों का रुझान बढऩे की संभावना धूमिल हो गई। जिले में ज्वार को छोड़कर अन्य किसी फसल की लक्ष्य के मुताबिक बुवाई बुवाई पूरी नहीं हो सकी।
जिले में कृषि विभाग ने 1 लाख 93 हजार हैक्टेयर में खरीफ फसल की बुवाई का लक्ष्य तय किया था। इसमें से 1 लाख 82 हजार 903 हैक्टेयर में ही बुवाई हुई है। पचवारा इलाके में इस बार मूंगफली व तिल की बुवाई भी पूरी नहीं हो सकी। हालांकि नांगल, लवाण व सिकराय आदि इलाके में बाजरा की बुवाई अच्छी हुई, लेकिन दौसा, लालसोट व रामगढ़ पचवारा तहसील क्षेत्र में बुवाई कम रह गई।
लालसोट व दौसा उपखण्ड सर्वाधिक पीछे
मानसून में इस बार लालसोट व दौसा उपखण्ड सबसे पीछे रह गए। लालसोट में तो गत वर्ष की तुलना में 298 एमएम बारिश कम हुई है। राहुवास व रामगढ़ पचवारा इलाके का भी यही हाल रहा। इसी तरह दौसा में 359 एमएम बारिश कम हुई। नांगल, लवाण, सिकराय, बसवा आदि इलाके भी कमजोर मानसून का शिकार हुए। मात्र महुवा व बांदीकुई में औसत बारिश हो सकी है।
मानसून में इस बार लालसोट व दौसा उपखण्ड सबसे पीछे रह गए। लालसोट में तो गत वर्ष की तुलना में 298 एमएम बारिश कम हुई है। राहुवास व रामगढ़ पचवारा इलाके का भी यही हाल रहा। इसी तरह दौसा में 359 एमएम बारिश कम हुई। नांगल, लवाण, सिकराय, बसवा आदि इलाके भी कमजोर मानसून का शिकार हुए। मात्र महुवा व बांदीकुई में औसत बारिश हो सकी है।