झारालावा जलप्रपात से गिरने वाला पानी चट्टान से टकराने के चलते फुहारों के रूप में करीब 100 फीट तक हवा में बिखरता है, जिसकी वजह से स्थानीय ग्रामीण इसे ‘पानी उड़ने वाला’ जगह के नाम से जानते हैं।
रास्ता कठिन
यहां तक पहुंचने के लिए करीब 4 किमी तक पहाड़ी रास्ते मे कठिन यात्रा करनी पड़ती है। इस दौरान रास्ते मे फिसलन युक्त चट्टानों, पेड़ व बांस के झुरमुटों के बीच से गुजरना पड़ता है। कुछ जगहों पर खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है। पर्यटन विभाग या वन विभाग ने अब तक इस जलप्रपात को आम सैलानियों के लिए सहज बनाने अब तक कोई कोशिश नहीं की है।
स्थानीय ग्रामीणों की ले सकते हैं मदद
झारालावा जलप्रपात तक पहुंचने के लिए झिरका गांव तक वाहन से पहुंचा जा सकता है। दंतेवाड़ा से 10 किमी दूर स्थित पंडेवार के रास्ते 3 किमी दूर कमालूर रेल्वे स्टेशन पहुंचना पड़ता है। इसके बाद कमालूर से 3 किमी दूर झिरका में वाहन रखकर पैदल आगे बढ़ने के लिए झिरका के स्थानीय ग्रामीणों की मदद ली जा सकती है।
झारालावा जलप्रपात