दमोह. दमोह जिले में पहली व दूसरी लहर में ही बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और उनमें किसी भी प्रकार के लक्षण भी नजर नहीं आए। बाद में जब बुखार आया और एंटीबॉडी टेस्ट कराई गई तो पहले कोरोना होने का पता चला। जिला अस्पताल में बुखार, उल्टी व दस्त के सर्वाधिक मरीज पहुंच रहे हैं। यहां भर्ती होने वाले मरीजों का इलाज अब वायरल न मानते हुए कोविड वायरस 19 से जन्य बीमारी एमआइएस-सी के आधार पर इलाज किया जा रहा है। दमोह की एक निजी लैब से एंटीबॉडी टेस्ट कराया जा रहा है, जहां पर हाल ही में 20 बच्चों की एंटीबॉडी जांच कराई गई, जिनमें से 12 बच्चों की एंटीबॉडी पॉजिटिव पाई गई। शेष 8 की रिपोर्ट निगेटिव आई। इन सभी बच्चों का एमआइएस-सी हिसाब से इलाज किया गया। वायरल नहीं एमआइएस-सी कर रही बीमार मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम यह एक गंभीर बीमारी है, जो कोविड 19 से संबंधित है, जिन बच्चों को कोरोना होता है। अधिकतर उनमें कोई लक्षण नहीं होते हैं। यदि कुछ लक्षण होते हैं तो वह काफी हल्के होते हैं। लेकिन एमआइएसाी में महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय, फेफड़े, किडनी, आंत, आंखें, दिमाग, त्वचा व रक्त नलिकाओं में प्रभाव पड़ता है। इन अंगों में विपरीत लक्षण दिखाई देते हैं। ये दिखाई देते हैं लक्षण बुखार तीन दिन से अधिक रहता है। अत्याधिक पेट दर्द होना। उल्टी दस्त होना। सांस लेने में तकलीफ होना। त्वचा पर दाने आना एमआइएससी बीमारी के ही लक्षण है। जिस पर तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श व ब्लड की जांचें करानी आवश्यक है। जिला अस्पताल के शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश नामदेव बताते हैं कि एमआइएससी एक सिंड्रोम है। मतलब इसमें बहुत से लक्षण होते हैं। यह शरी के ज्यादातर अंगों को प्रभावित करता है। इस बिल्कुल कारण ज्ञात नहीं है। लेकिन कोविड 19 के प्रति शरीर का अत्याधिक प्रतिरोध प्रभाव है। अधिकांश उन बच्चों में हो रहा है, जिन्हें पहले कोविड 19 का इन्फेक्शन हो चुका हो। ये भी हो सकता है अधिकांश बच्चों में एंटीबॉडी टेस्ट पॉजिटिव होता है। इससे 3 साल से 12 साल के बच्चे ज्यादा ग्रसित हो रहे। जिला अस्पताल में इस तरह के मरीज आ रहे हैं, जो उपचार के उपरांत ठीक हैं, वहीं कुछ मरीज अभी भी इलाजरत हैं। सही जांच व सही समय पर इलाज मिलने से सभी बच्चे स्वस्थ्य हो रहे हैं।