जबेरा में ज्यादा बारिश फिर भी धान रोपणी के लिए बना सिंचाई का संकट

टयूबबेल से खेत में पानी भरकर धान रोप रहे किसान

<p>More rain in Jabera yet irrigation crisis created for paddy plantation</p>
दमोह/ बनवार/ बम्हौरीमाला. दमोह जिले में जबेरा ब्लॉक के बम्हौरीमाला अंचल धान का कटोरा माना जाता है, यहां रोपणी से धान का उत्पादन किया जाता है। वर्तमान में भले ही जिले में जबेरा ब्लॉक के वर्षा मापी केंद्र भर जिले में सर्वाधिक बारिश 438.8 मिमी दर्ज की गई हो, लेकिन धान रोपणी के लिए किसानों को कुओं में टयूबबेल से अपने खेत भरने पड़ रहे हैं। जिससे यहां के किसान पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
जनपद जबेरा के ग्रामीण अंचलों में दो दिन पहले हुई बारिश से सिंचाई के अभाव में सूख रही धान नर्सरी के लिए भी बारिश अमृत साबित हुई, लेकिन एक दो दिन हुई हल्की बारिश के बाद मनो बारिश का क्रम रुक सा गया है। खेतों में पानी जमा ना होने की वजह से धान रोपाई अटक गई है। इस स्तिथि में धान रोपणी कार्य लेट होने की वजह से मजबूर सिंचाई के साधन संपन्न किसानों ने अपने नलकूपों व कुओं से खेतों में पानी भरकर धान रोपाई करनी आरंभ कर दी है। मोटर पंप रखकर खेतों में पानी भरने का काम किया जा रहा है। इसके बाद धान की रोपाई की जा रही है। जिससे किसानों को अतिरिक्त खर्च बैठता है। लेकिन धान की खेती में विलंब होने की वजह से अतिरिक्त खर्च करके किसान धान की रोपाई करने को मजबूर हो रहे हैं।
अधिक उत्पादन के लिए रोपा पद्धति
जबेरा ब्लॉक का बम्हौरीमाला क्षेत्र धान का कटोरा माना जाता है। इस क्षेत्र के किसान अब रोपा पद्धति से हाइब्रीड धान की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं, इस पद्धति से धान का अधिक उत्पादन होता है, धान में सादा जिसे काला दाना की समस्या से निजात मिलती है। वहीं मानसून बिगडऩे पर रोपी गई धान की पौध को नुकसान नहीं होता है। यह मेहनती और खर्चीली पद्धति है लेकिन एक एकड़ में 35 से 40 क्विंटल का उत्पादन लेने के लिए किसान इस पद्धति पर ज्यादा खेती करने लगे हैं।
कम बीज के साथ मजदूरी लागत कम
हाइब्रीड धान का थारा बोकर खेती करने किसानों को कम बीज लगता है। किसान हाइब्रिड बीज 6 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में रोपा लगाता है। जिसका उत्पादन एक एकड़ में 35 से 40 क्विंटल होता है। 6 किलो हाइब्रीड धान एक एकड़ में लगाने पर मजदूरी भी कम लगती है। किसानों को 1 किलो हाइब्रिड बीज धान 270 रुपए से लेकर 300 रुपए प्रति किलो मिलता है। कम बीज व कम मजदूरी लगने से भी धान का कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र में यह तरीका अपनाया जा रहा है।
सिंचाई विहीन खेतों को बारिश का इंतजार
जबेरा ब्लॉक के धान के कटोरा माने जाने वाले क्षेत्र में जिन किसानों के खेतों में सिंचाई के साधन नहीं है, उन किसानों के लिए सावन की झड़ी लगने का अब भी इंतजार है। ऐसे किसान आसमान में टकी-टकी लगाए हैं कि झमाझम बारिश हो और उनके खेतों में पानी भर जाए। इस उम्मीद से अभी भी धान की रोपणी का इंतजार कर रहे हैं।
छिटका वालों पर दोहरी बोवनी की मार
बम्हौर अंचल में रोपणी के बजाए छिटका पद्धति से धान की बोवनी की गई थी, जो 15 दिन पहले सूख गई थी। इसके बाद अब ऐसे किसानों पर दोहरी बोवनी का भार पड़ा है, लेकिन वह भी मानसूनी बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
सबसे अधिक बारिश फिर भी सूखा
दमोह जिले में अभी तक 309 मिमी बारिश अर्थात 12.1 इंच बारिश दर्ज की गई है। जो गत वर्ष से 1.3 इंच अधिक है। इसके अलावा अभी तक जिले में दमोहवर्षामापी केंद्र्र पर 319 मिमी, हटा में 341 मिमी, जबेरा में 438.8 मिमी, पथरिया में 333 मिमी, तेंदूखेड़ा 150.6 मिमी, बटियागढ़ में 248 मिमी तथा पटेरा 333 में मिमी बारिश दर्ज की गई है।
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