कचरे में आग व खराब सड़कें शहर की खराब कर रहीं आवोहवा

अक्टूबर माह में खतरे के निशान को पार कर जाता है वायु प्रदूषण

<p>Garbage fire and bad roads are spoiling the city&#8217;s climate</p>
दमोह. एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स हर साल अक्टूबर माह में दमोह शहर के गंभीर वायु प्रदूषण को प्रभावित करने लगता है। पिछले साल 7 अक्टूबर 2020 को दमोह का एक्यूआइ का स्तर 213 दर्ज किया गया था, वहीं ठीक एक साल बाद शुक्रवार से 150 पार कर गया और आगामी हफ्ते में भी इसके बढऩे की ओर इंडेक्स इशारा कर रहा है।
शीत ऋतु आने पर अक्टूबर माह से लेकर जनवरी माह तक दमोह की आवोहवा खराब होने के पीछे के कई कारण है, जिसमें से प्रमुख कारण यह है कि शहर के अंदर से उठने वाला कचरा शहर के किनारों पर फैंक दिया जाता है, फिर उसमें आग लगा दी जाती है। इसके साथ ही जब-जब दमोह शहर की सड़कें खस्ताहाल होती हैं तब-तब शहर की आवोहवा सबसे ज्यादा खराब हुई है। इनके अलावा शहर में पेट्रोल-डीजल का दोहन, क्लिंकर प्लांट भी प्रमुख हैं। शहर में आवासीय परिसरों का निर्माण होना, पुराने शहर में आवासों की तोडफ़ोड़ के कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ाने का कारक बन रहा है।
रविवार को 103 पर दर्ज
दमोह शहर में पिछले हफ्ते के शुक्रवार को जहां एक्यूआइ का स्तर 153 रहा, वहीं शनिवार को 156 पर पहुंच गया था। रविवार को 103 पर आ गया था। वहीं अगले हफ्ते सोमवार को 114, मंगलवार को 121 व बुधवार को 158 पर पहुंचने की चेतावनी दे रहा है।
कचरा निष्पादन का ठोस उपाय नहीं
दमोह नगर जब देश में सबसे गंदे शहरों में शुमार हुआ था तो उस दौरान शहर के बाहर कचरा निष्पादन का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। अभाना के पास डंप सेंटर बनाया जाना थाए लेकिन वहां के नागरिकों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। जिससे कचरा डंप सेंटर लाडऩबाग लाया गया लेकिन वहां पर भी ठोस निष्पादन न होने के कारण शहर से निकलने वाला कचरा या तो गड्ढों में दबाया जा रहा है या फिर जलाया जा रहा है।
कचरा जलाने की लगाते तोहमत
दमोह शहर में सुबह सफाई के दौरान सफाई कर्मियों द्वारा कचरा न उठाने की प्रवृत्ति के चलते वह कचरा को मौके पर ही जला देते हैं। इसके अलावा शहर के अंदर व शहर के बाहर लगे कचरे के ढेरों को भी जलाने का काम किया जाता है, लेकिन जब नपा के सफाई अमले व अधिकारियों से बात की जाती है तो वह कचरा जलाने की तहमत कचरा बीनने वालों पर लगाते हैं। जबकि इसी कचरे से उनकी रोजी रोटी चलती है इसलिए वह अपनी रोजी रोटी पर आग नहीं लगा सकते हैं, नपा के कचरा वाहन डीजल बचाने के चक्कर में शहर के आसपास पुराने डंप सेंटरों पर ही कचरा फैंक रहे हैं।
कर्मी कचरे में आग नहीं लगा रहा हैए कचरा बीनने वाले इस कचरे में आग लगा देते हैं।
शहर की खस्ताहाल सड़कें बन रहीं कारण
2020 में प्रदेश में एक सर्वे हुआ था, जिसमें बताया था कि जिस शहर की सड़कें खस्ताहाल हैं, वहां आवोहवा खराब हैं, इस सर्वे में दमोह का नाम भी शामिल था। वहीं वर्तमान में शहर के हाइवे से लेकर वार्डों को जोडऩे के साथ बाजार क्षेत्र की सड़कों पर मुख्य सड़कें खस्ताहाल हो गई हैं, बड़े-बड़े गड्ढों से धूल प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है।
शिशुओं की मौत का आंकड़ा बढ़ता
शहर की आवोहवा खराब होने के कारण इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव नवजात शिशुओं पर पड़ता है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते भारत में ज्यादा मौंते हुई थीं। दमोह जिला अस्पताल में भी पिछले सालों में अक्टूबर से दिसंबर माह के बीच वायु प्रदूषण बढऩे के कारण शिशु मृत्युदर अधिक देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण न केवल शिशुओं की मौत का कारण बन रहा है। बल्कि इसके साथ ही अजन्मों के स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है। गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी वायु प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचा सकता है। यह बच्चों में कम वजन और समय से पहले जन्म का होना। जैसी समस्यों को पैदा कर सकता है। जिसके चलते उनकी मौत तक हो सकती है। इसके साथ ही यह बच्चों के दिमागी विकास पर भी असर डाल सकता है।
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