मोर्चा हटाने के दौरान घटना मंगलवार को एसजीपीसी की टास्क फोर्स ने मोर्चा हटाने का प्रयास किया। मोर्चा लगाने वालो ने इसका विरोध किया। बस फिर क्या था, दोनों ओर से तलवारें निकल आईं। एक दूसरे पर तान लीं। शोर मच गया। तलवारबाजी में चार लोग घायल हुए हैं। एकदूसरे पर हमला का आरोप लगाया गया है।
सुखदेव सिंह ढींढसा का समर्थन सिखों के साथ जुड़े इस संवेदनशील धार्मिक मामले में बादल परिवार से बागी होकर शिअद (डी) का गठन करने वाले सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने पंथक संगठनों के इस कदम का समर्थन किया है। ढींढसा इस मुद्दे को आगामी एसजीपीसी चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनाने की कवायद में जुट गए हैं। वहीं बादल परिवार से बागी होकर दिल्ली में जागो पार्टी का गठन करने वाले दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके भी इस मामले में एसजीपीसी के वर्तमान निजाम के साथ-साथ बादल परिवार पर निशाने साध रहे हैं। लापता स्वरूपों के मामले में शिअद (ब) उसी तरह पंथक कटघरे में खड़ा है, जैसे 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी व बहिबलकलां में गोलीबारी से दो सिख नौजवान के शहीद होने के मामले में था। इस घटना के बाद शिअद (ब) से पंथक वोट खिसक गया है, जिसके नतीजे में सुखबीर को 2017 विधानसभा चुनाव में कड़ी पराजय झेलनी पड़ी थी।
फैसले को पलटा वहीं एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लौंगोवाल द्वारा लापता पावन स्वरूपों के मामले में पंथक संगठनों की मांगों को स्वीकार करना एक बड़ी चुनौती है। लौंगोवाल पहले ही कार्यकारिणी के उस फैसले को पलट चुके हैं, जिसमें उन्होंने आरोपी एसजीपीसी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कानूनी और आपराधिक कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।