खास बात यह है कि गुरुवार को ही पटियाला हाउस कोर्ट ने उस अर्जी को भी खारिज कर दिया जिसमें डेथ वारंट ( Death Warrant ) पर रोक की मांग की गई थी। निर्भया के दोषियों की फांसी में अब महज चंद घंटों का वक्त बचा है। 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी जाएगी, लेकिन इसस पहले तिहाड़ जेल में क्या कुछ होगा आईए आपको बताते हैं।
इस तरही की जाएगी फांसी की तैयारी
निर्भया के दोषियों को फांसी से पहले आपको बता दें कि तीन दोषियों को अलग अलग सेल में रखा गया है, उसके आस पास के सेल को खाली करा दिया गया है।
निर्भया के दोषियों को फांसी से पहले आपको बता दें कि तीन दोषियों को अलग अलग सेल में रखा गया है, उसके आस पास के सेल को खाली करा दिया गया है।
उनके सेल के बाहर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। ताकि वो लोग अपने आप को कोई भी नुकसान न पहुंचा सके। पहनाया गया लाल रंग का परिधान
तिहाड़ जेल में कैद निर्भया के दोषियों को फांसी देने से पहले विशेष तौर का परिधान पहनाया गया है। इस परिधान का रंग लाल है।
तिहाड़ जेल में कैद निर्भया के दोषियों को फांसी देने से पहले विशेष तौर का परिधान पहनाया गया है। इस परिधान का रंग लाल है।
फांसी से डेढ़ घंटे पहले कमरे से निकलेगा जल्लाद
पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी देने हमें वहां पर बुलाया जाता है उसके बाद हमारे साथ मीटिंग की जाती है कि कैसे कैदी के पैर बांधने होते हैं कैसी रस्सी बांधनी होती है।
पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी देने हमें वहां पर बुलाया जाता है उसके बाद हमारे साथ मीटिंग की जाती है कि कैसे कैदी के पैर बांधने होते हैं कैसी रस्सी बांधनी होती है।
फांसी की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए पवन जल्लाद ने कहा कि जो समय निर्धारित होता है उससे 15 मिनट पहले चल देते हैं। हम उस समय तक तैयार रहते हैं। फांसी की तैयारी करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है।
फांसी घर लाने से पहले कैदी के दोनों हाथ को हाथकड़ी या फिर रस्सी से बांधा जाएगा। दोषियों को दो सिपाही पकड़ कर फांसी घर तक लेकर आएंगे। बैरक से फांसी घर लाने की प्रक्रिया
फांसी घर से दूरी के आधार पर फांसी के तय समय से पहले दोषियों को लाना शुरू किया जाता है।
फांसी घर से दूरी के आधार पर फांसी के तय समय से पहले दोषियों को लाना शुरू किया जाता है।
इतने लोग रहेंगे मौजूद
फांसी देते समय 4 से पांच सिपाही वहां पर मौजूद होते हैं वह कैदी को फांसी के तख्ते पर खड़े करते हैं। इसके एक दिन पहले जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के साथ जल्लाद की मीटिंग होती है।
फांसी देते समय 4 से पांच सिपाही वहां पर मौजूद होते हैं वह कैदी को फांसी के तख्ते पर खड़े करते हैं। इसके एक दिन पहले जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के साथ जल्लाद की मीटिंग होती है।
फांसी लगने में लगेंगे 15 मिनट
फांसी देते वक्त कोई किसी से बात नहीं करता। सिर्फ इशारों में ही प्रक्रिया चलती है। दरअसल इसकी वजह यह है कि वहां पर कैदी को कोई डिस्टर्ब न हो या फिर वहां पर कैदी कोई ड्रामा न खड़ा कर दें। फांसी देने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है। कैदी के हाथ पैर दोनों उस दौरान बांध दिए जाते हैं और उनके उनके सर पर टोपा डाल दिया जाता है।
फांसी देते वक्त कोई किसी से बात नहीं करता। सिर्फ इशारों में ही प्रक्रिया चलती है। दरअसल इसकी वजह यह है कि वहां पर कैदी को कोई डिस्टर्ब न हो या फिर वहां पर कैदी कोई ड्रामा न खड़ा कर दें। फांसी देने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है। कैदी के हाथ पैर दोनों उस दौरान बांध दिए जाते हैं और उनके उनके सर पर टोपा डाल दिया जाता है।
बनाया जाता है गोल निशान
कैदी को खड़े करने के स्थान पर गोल निशान बनाया जाता है, जिसके अंदर कैदी के पैर होते हैं। इसके बाद जैसे ही जेल अधीक्षक रुमाल से इशारा करता है हमलोग लीवर खींच देते हैं।
कैदी को खड़े करने के स्थान पर गोल निशान बनाया जाता है, जिसके अंदर कैदी के पैर होते हैं। इसके बाद जैसे ही जेल अधीक्षक रुमाल से इशारा करता है हमलोग लीवर खींच देते हैं।
उसके बाद कैदी सीधे कुएं में टंग जाता है। 15 मिनट बाद कैदी का शरीर शांत हो जाता है, जिसके बाद डॉक्टर्स कैदी के पास पहुंच कर उनकी हार्ट बीट चेक करते हैं। फांसी के बाद की प्रक्रिया
हार्ट बीट चेक करने के बाद डॉक्टर्स के इशारे के मुताबिक उन्हें उतार दिया जाता है। उसके बाद उसे चादर से ढक दिया जाता है। उसके बाद जल्लाद फंदा और रस्सी एक तरफ रख देते हैं।
हार्ट बीट चेक करने के बाद डॉक्टर्स के इशारे के मुताबिक उन्हें उतार दिया जाता है। उसके बाद उसे चादर से ढक दिया जाता है। उसके बाद जल्लाद फंदा और रस्सी एक तरफ रख देते हैं।