वानखेड़े में सचिन का वो विदाई भाषण, जिसने पूरे देश की आंखों को कर दिया था नम

16 नवंबर को 2013 को टेस्ट क्रिकेट से संयास के बाद इंटरनेशनल क्रिकट से ले ली थी विदाई
वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े में खेला था अपना आखिरी टेस्ट मैच, आज है जहन में कई यादें

<p>Sachin&#8217;s farewell speech in Wankhede, made entire nation&#8217;s eyes moist</p>

नई दिल्ली। कितनी अजीब बात एक दिन पहले यानी 15 नवंबर को देश ही पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के डेब्यू की बातें कर रही है। खुद बीसीसीआई की ओर से एक फोटो ट्वीट किया जिसमें वो पाकिस्तान के खिलाफ कराची में टेस्ट डेब्यू करते हुए दिखाई दे रहे हैं। अब एक दिन बाद हम सभी उनके रिटायरमेंट की बातें कर रहे हैं। 16 नवंबर 2013 को उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से विदाई के बाद अपने घरेलू मैदान वानखेड़े में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया। यह वो युग था जब सचिन के साथ एक पूरी पीढ़ी आगे की ओर से बढ़ रही थी। इस इस खिलाड़ी की महानता को करीब तीन पीढिय़ों ने काफी करीब से देखा। जब उन्होंने वानखेड़े मैदान से अपना विदाई भाषण दिया तो सभी की आंखों को नम कर दिया। आज हम आपके सामने फिर से वो विदाई भाषण लेकर आए है, जिसे पढ़कर मौजूदा दौर वो बच्चे अपने करियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। तो पढि़ए उन्हीं की जुबानी…

दोस्तों प्लीज बैठ जाइए, मैं और भावुक हो जाऊंगा। पूरी जिंदगी मैंने यहीं बिताई है, यह सोचना मुश्किल है कि मेरे इस शानदार सफर का अंत हो रहा है। यूं तो मैं पढ़कर बोलना पसंद नहीं करता, लेकिन आज मैंने एक लिस्ट तैयार की है कि मुझे किन लोगों का धन्यवाद करना है।

सबसे पहले मेरे पिता का नाम आता है, जिनकी मृत्यु 1999 में हो गई थी। उनकी सीख के बिना मैं आपके सामने खड़ा ना हो पाता। उन्होंने कहा था – अपने सपनों के पीछे भागो, राह मुश्किल होगी, लेकिन कभी हार मत मानना। आज मैं उनको बहुत मिस कर रहा हूं। मेरी मां, मुझे नहीं पता कि मेरे जैसे शैतान बच्चे को उन्होंने कैसे संभाला। मैंने जब से क्रिकेट शुरू किया है, तब से उन्होंने सिर्फ और सिर्फ प्रार्थना की है मेरे लिए।

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स्कूल घर से दूर होने की वजह से मैं चार साल तक अपने अंकल-आंटी के यहां रहा। उन्होंने मुझे अपने बेटे की तरह संभाला। मेरे बड़े भाई नितिन ज्यादा बोलना पसंद नहीं करते, लेकिन उन्होंने मुझे इतना जरूर कहा- ‘मुझे पता है कि तुम जो भी करोगे, उसमें 100 प्रतिशत ही दोगे।’ मेरा पहला बल्ला मेरे बहन सविता ने मुझे गिफ्ट किया था। जब मैं बल्लेबाजी कर रहा होता हूं तो वो आज भी मेरे लिए व्रत रखती हैं।

मेरा भाई अजीत, उनके बारे में मैं क्या कहूं। हमने इस सपने को साथ जिया था। उन्होंने मेरे लिए अपना करियर दांव पर लगा दिया। वो ही पहली बार मुझे मेरे पहले कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए। पिछली रात भी मेरे विकेट को लेकर उन्होंने फोन पर मुझसे बात की। जब मैं नहीं खेल रहा होता हूं तब भी हम खेलने की तकनीक पर बात कर रहे होते हैं। अगर वो नहीं होते तो आज मैं क्रिकेटर ना होता।

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सबसे खूबसूरत चीज जो जीवन में हुई वो थी 1990 में मैं जब अंजलि से मिला। मुझे पता है कि एक डॉक्टर होने के नाते उसके सामने एक बड़ा करियर था, लेकिन उसने फैसला लिया कि मैं क्रिकेट खेलता रहूं और वो बच्चों और घर का ध्यान रखेंगी। धन्यवाद अंजलि, हर उस अजीब बातों के लिए जो मैंने की। ज़िंदगी के उतार-चढ़ावों में भी मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया। मेरी जिंदगी की बेस्ट पार्टनरशिप तुम्हारे साथ रही।

मेरे जीवन के दो अनमोल हीरे, सारा (बेटी) और अर्जुन (बेटा। मैंने तुम लोगों के कई जन्मदिन और छुट्टियां मिस की हैं। मुझे पता है कि पिछले 14-16 सालों में मैं तुम लोगों को ज्यादा वक्त नहीं दे पाया, लेकिन वादा करता हूं कि अगले 16 साल जरूर तुम्हारे साथ रहूंगा हर पल।

मेरे ससुराल के लोग, मैंने उनके साथ काफी बातें शेयर की हैं। जो एक चीज़ उन्होंने मेरे लिए सबसे खास की, वो थी मुझे अंजलि से शादी करने देना। पिछले 24 सालों में मेरे दोस्तों का योगदान और समर्थन भी अद्भुत रहा। वो मेरे साथ हर वक्त थे, जब मैं दबाव में था। वो मेरे साथ रात को 3 बजे भी थे, जब-जब मुझे चोट लगी। मेरा साथ देने के लिए धन्यवाद।

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मेरा करियर शुरू हुआ जब मैं 11 साल का था। मैं इस बार स्टैंड्स पर आचरेकर सर (पहले कोच) को देखकर बहुत खुश हुआ। मैं उनके साथ स्कूटर पर बैठकर दिन में दो-दो मैच खेला करता था। वह सुनिश्चित करते थे कि मैं हर मैच खेलूं। वो कभी मुझे यह नहीं कहते थे कि तुम अच्छा खेले, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मैं हवा में उडऩे लगूं। सर अब आप ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि अब मैं नहीं खेलने वाला।

मैंने अपने करियर की शुरुआत यहीं मुंबई से की थी। मुझे याद है न्यूजीलैंड से सुबह 4 बजे लौटकर अगले दिन यहां रणजी मैच खेलना कैसा अनुभव था। बीसीसीआई भी मेरे करियर के शुरुआत से गजब की समर्थक रही और मैं अपने चयनकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। आप लोगों ने हमेशा सुनिश्चित किया कि मेरा पूरा ख्याल रखा जाए।

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सभी सीनियर क्रिकेटरों को धन्यवाद जो मेरे साथ खेले। सामने स्क्रीन पर आप राहुल, वीवीएस और सौरव को देख सकते हैं, अनिल (कुंबले) यहां नहीं हैं अभी। सभी कोचों को भी धन्यवाद। मुझे हमेशा याद रहेगा वो पल जब इस मैच के शुरू होने से पहले एमएस धोनी ने मुझे 200वें टेस्ट की टोपी भेंट की।

हमें गर्व होना चाहिए कि हम भारत के लिए खेल रहे हैं। मैं चाहूंगा कि आप सम्मान के साथ देश को गौरवान्वित करते रहें। मुझे पूरा भरोसा है कि आप देश की सेवा सही भावना से हमेशा करते रहेंगे।

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मैं अपने फर्ज से चूक जाऊंगा, अगर मैंने अपने डॉक्टर्स को धन्यवाद नहीं किया। उन्होंने मुझे हमेशा फिट रखने की कोशिश की। मैंने बहुत चोटें खाईं, लेकिन किसी भी समय वो मेरे लिए हाजिर रहे।

मैं अपने चहेते दोस्त स्वर्गीय मार्क मैस्करैन्हस को धन्यवाद कहना चाहता हूं। मैं उन्हें बहुत मिस करता हूं। मैं अपने मौजूदा मैनेजमेंट ग्रुप को भी शुक्रिया कहूंगा, जिन्होंने मार्क के काम को जारी रखा और मैं अपने दोस्त व मौजूदा मैनेजर विनोद नायुडू को भी धन्यवाद कहना चाहता हूं जो पिछले 14 सालों से लगातार मेरे साथ हैं।

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मैं मीडिया को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे मेरे स्कूल के दिनों से अब तक कवर किया। उन्होंने मुझे बहुत समर्थन दिया और आज भी कर रहे हैं। सभी फोटोग्राफर्स को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मेरे हर खास पल को कवर किया।

मुझे पता है मेरा भाषण कुछ ज्यादा लंबा हो गया है। मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहना चाहता हूं जो दुनिया के हर कोने से आते हैं। मैं अपने दिल से सभी फैंस को धन्यवाद कहना चाहता हूं। एक चीज जो मेरी आखिरी सांसों तक मेरे कान में गूंजती रहेगी वो है ‘सचिन, सचिन’!

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